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विकास की नई राह पर मध्य प्रदेश

हर कहीं विकास की संभावना होती है। मध्य प्रदेश में भी अपार संभावनाएं हैं। संसाधनों व प्राकृतिक वरदान के चलते शहडोल में तो और भी ज्यादा है। जनजातीय बहुल इस क्षेत्र में खनिज तथा दूसरे प्राकृतिक संसाधन भरपूर हैं। जहां एक ओर कोयले का अकूत भण्डार है तो संभाग में तीन अलग-अलग क्षेत्रों में बड़े बिजली उत्पादन केन्द्र हैं। अमरकण्टक थर्मल पॉवर प्लाण्ट, चचाई, संजय गांधी ताप विद्युत केन्द्र बिरसिंहपुर पाली तो जैतहरी में मोजर बेयर प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड जिसे अब हिंदुस्तान पावर प्रोजेक्ट्स के नाम से जाना जाता है। शहडोल से करीब सिंगरौली भी वह जगह है जहां कोयला और बिजली दोनों का उत्पादन होता है। कहने का तात्पर्य यह कि विन्ध्य में यदि सबसे ज्यादा विकास की संभावनाएं कहीं हैं तो वह है शहडोल। कभी शहडोल का अकेला जिला आज संभाग में तब्दील होकर अपने पुराने स्वरूप को नए नाम से पा तो चुका है। बावजूद इसके अपने महत्व और उपलब्धियों को लेकर नए नाम और पहचान के लिए संघर्षरत है।

यह सच है कि भाजपा शासन के दौरान शहडोल को उसकी प्राकृतिक उपलब्धियों और प्रचुरता के चलते नया आयाम मिला। आज रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव को लेकर शहडोल देश-विदेश को अपनी ओर इन्हीं खूबियों के चलते आकर्षित कर रहा है। 16 जनवरी को हो रहे रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव के लिए अब तक 20 हजार करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव सरकार को मिल चुके हैं। इधर, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भी इसको लेकर बेहद उत्साहित हैं। उन्होंने कहा है कि उद्योग लगाने के लिए जो निवेशक मध्य प्रदेश आ रहे हैं उन्हें किसी प्रकार की कठिनाई नहीं होने देंगे। निवेशकों की सुविधा के लिए हर जिले में इन्वेस्टमेंट फैसिलिटेशन सेंटर प्रारंभ किए गए हैं। जिला कलेक्टरों को इनका नोडल अधिकारी बनाया गया है। प्रदेश में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस प्रोत्साहित करने वाली नीतियां बनाई गई हैं। इसमें मध्य प्रदेश देश में चौथे स्थान पर है।

जहां तक शहडोल में उद्योग की संभावनाओं की बात है, यहां एक ओर जहां कोयले की प्रचुरता है तो दूसरी बड़े-बड़े पॉवर प्रोजेक्ट हैं। इसके अलावा रिलायंस का सीबीएम प्रोजेक्ट पहले ही शहडोल को देश में अलग मुकाम दिला चुका है। जमीन की भी कोई कमी नहीं है। शहडोल के अलावा बेहद करीब कोलफील्ड और ऊर्जा के हब के रूप में सिंगरौली है जो किसी तोहफे जैसा है। निश्चित रूप से किसी भी उद्योग के लिए ऊर्जा और जगह की खासियत अहम होती है। दोनों मामलों में शहडोल सौभाग्यशाली है। इतना ही नहीं, कभी यहां एशिया का दूसरा सबसे बड़ा कागज कारखाना, ओरियन्ट पेपर मिल बनी जो आज भी पूरी गति से संचालित है। कागज उद्योग की और भी संभावनाओं के साथ यहां पर खनिज प्रसंस्करण, गैस आधारित उद्योग और हरित ऊर्जा परियोजनाओं में भी निवेश की भी अपार संभावनाएं हैं।

निश्चित रूप से मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की सोच उनकी दूरदर्शिता है जो उन्होंने प्रदेश के इस दक्षिण-पूर्वी छोर पर स्थित आखिरी संभाग की खूबी को न केवल पहचाना बल्कि मूर्त रूप देने का प्रयास किया। शहडोल को विकास की गति देने में उप-मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल की भी महती भूमिका है। निश्चित रूप से मध्य प्रदेश का यह 7वां रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव बेमिसाल होगा। बस एक कसक प्रकृति के अकूत वरदानों से भरे जनजातीय, आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व के इलाके की रह गई है कि काश संभाग का नाम नर्मदा संभाग होता और अनूपपुर जिले का नाम मां नर्मदा के नाम रेवाखंड जिला तथा उमरिया का नाम विश्व प्रसिद्ध राष्ट्रीय उद्यान बांधवगढ़ के नाम होता तो यह सोने में सुहागा जैसा होता। विश्वास है कि देर-सबेर यह भी होगा।

शहडोल की उपलब्धियों को गिनें तो यहां से देश की उस नदी ‘नर्मदा’ का उद्गम है जिसके दर्शन मात्र से पुण्य प्राप्त होता है। वहीं, सोन का भी उद्गम यहीं से होता है। अमरकण्टक शहडोल के पर्यटन उद्योग को चार चांद लगाने के लिए अलग धार्मिक, आध्यात्मिक केन्द्र जैसी पहचान रखता है। इस पवित्र नगरी के कायाकल्प के लिए राज्य सरकार पुरजोर कार्य कर रही है। इससे न केवल धार्मिक पर्यटन को बढ़ेगा बल्कि मध्य प्रदेश के इस अनूठे प्राकृतिक स्थल को लोग बार-बार देखने आते हैं और आते रहेंगे। विश्वविख्यात नर्मदा और सोन का उद्गम अमरकण्टक का वैसे भी अलग स्थान है। जहां अमरकण्टक से निकली नर्मदा गुजरात के लिए वरदान कहलाती है तो सोन बिहार के लिए लाइफ लाइन से कम नहीं है।

अमरकण्टक की मेकल, विन्ध्य और सतपुड़ा पहाड़ियों की सुन्दरता और दर्जनों बल्कि सैकड़ों ऐसे स्थान हैं जहां प्राकृतिक हरियाली, कीमती जड़ी-बूटियां, प्राचीन तप स्थलियां और पहाड़ों की सुन्दरता देखते बनती है। जैसे-जैसे शहडोल औद्योगिक रूप लेगा निश्चित रूप से अमरकण्टक की वादियां और पुण्यता भी इसके विकास को चार चांद लगाएंगी। वहीं, विश्व विख्यात बांधवगढ़ भी शहडोल के गौरव को बढ़ाता है। दूर-दूर से पर्यटक आते हैं। बांधवगढ़ अम्बानी परिवार को भी खूब भाया।

शहडोल से सटा लालपुर दशकों तक विन्ध्य का जाना-माना निजी हवाई अड्डा था। यहां देश के बड़े उद्योगपति और कागज कारखाना अमलाई के मालिक अपने निजी विमान से उतरा करते थे। बाद में देश के कई प्रधानमंत्री इस जगह उतरे। आज मध्य प्रदेश शासन के भावी हवाई अड्डों में शहडोल के इसी लालपुर का नाम है जहां पर 1 जुलाई 2023 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आए थे और पकरिया गांव के ग्रामीणों से न केवल संवाद किया बल्कि खाट पर बैठ कर देशी पत्तल में जनजातीय क्षेत्र के श्रीअन्न कोदो भात, कुटकी की खीर और दूसरे देशी व्यंजन खाए थे। आज शहडोल अपने नए रूप-रंग के साथ बांहे फैला कर सभी के स्वागत के लिए तैयार है तो लालपुर को इंतजार है कि शहडोल के विकास को हवाई जहाज के पंखों से गति मिले ताकि देश-विदेश के लोग सीधे शहडोल पहुंच सकें। वाकई शहडोल बदल रहा है और गढ़ने को तैयार है विकास के नित नए आयाम।

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