क्या आपने आज द्वितीया श्राद्ध विधि अप्लाई की?
आज पितृपक्ष के Dvitiiya shraddha विधि का दिन है। इस दिन पितरों को तर्पण, पिंडदान और ब्राह्मणों को भोजन देकर श्राद्ध कर्म संपन्न किया जाता है। यह विधि आशीर्वाद और वंश वृद्धि के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है।
1. Dvitiiya shraddha और शुभ मुहूर्त
- आज भाद्रपद कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि है, जो शाम 6:29 बजे तक रहेगी, इसके बाद तृतीया तिथि प्रारंभ हो जाएगी।
- श्राद्ध और तर्पण के लिए शुभ मुहूर्त निम्न हैं:
- कुतुप मुहूर्त: 11:53 AM – 12:43 PM
- रौहिण मुहूर्त: 12:43 PM – 1:33 PM
- अपराह्न काल: 1:33 PM – 4:03 PM
2. कौन कर सकता है?
- जिन पूर्वजों का स्वर्गवास किसी द्वितीया तिथि को हुआ था, उनका श्राद्ध आज किया जाता है।
- तिथि ज्ञात न हो तो “पितृ विसर्जन” श्राद्ध किया जा सकता है।
- यह श्राद्ध तीन पीढ़ियों तक पुत्र, पौत्र या भांजे द्वारा कर सकते हैं।
3. Dvitiiya shraddha प्रमुख विधियां (Steps)
पितृोपशीर्षक द्वितीया श्राद्ध विधि में निम्न मुख्य कर्म शामिल हैं:
- पितरों का आह्वान: मुख्य द्वार पर फूल आदि रखकर आमंत्रण।
- प्रथम ग्रास: कौआ, कुत्ता और गाय को ग्रास (चारा) देना।
- तर्पण विधि: दूध, जल, तिल और पुष्प से तर्पण करना—तीन बार—कुश और काले तिल से संयोजन करके।
- पिंडदान: गेंहू, चावल, गुड़, घी से बने पिंड चढ़ाना (श्रद्धा साथ और आदर से)।
- दान और भोज: ब्राह्मणों को वस्त्र, फल, मिठाई आदि दान देना; नहीं मिलें तो मंदिर या गरीबों में भोजन बांटना।
4. अनुष्ठान का महत्व
- पितृपक्ष के दौरान श्राद्ध करने से पितरों को तृप्ति मिलती है और वंश में शुभता, समृद्धि आती है।
- दोषों से बचने के लिए, इस अवधि में सफाई, संयमित आहार, दान और आत्मनियंत्रण पर विशेष ध्यान दें।
5. वर्जित कार्य (Do’s & Don’ts)
वर्जित कामों से बचें:
- नई शुरुआत या विवाह
- आभूषणों, जायदाद या बड़े फैसले लेना
- मांसाहारी भोजन, तामसिक खाद्य पदार्थ, शराब या व्यसन
- नाखून, बाल कटवाना या किसी प्रकार का अधर्म
- गुस्सा, शब्दों में कठोरता या मानसिक अशांति