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अयोध्या के कालेराम मंदिर में मनी हनुमान जयंती

– मंदिर में देवी स्वरूप में विराजमान हैं हनुमान जी और हाथ में गदा नहीं, कटार है

अयोध्या, 12 अप्रैल (हि.स.)। चैत्र शुक्ल पूर्णिमा के पर्व पर स्वर्गद्वार स्थित कालेराम मंदिर में हनुमान जयंती शनिवार को मनाई गई। पूजन सुबह 4.30 बजे से शुरू हुआ। सुबह 6 बजे हनुमानजी का मंगल ध्वनियों के बीच जन्म हुआ। पुजारी गोपाल राव देश पांडे ने सरयू जल से भगवान का अभिषेक कराया। इसके बाद श्रृंगार आरती की गई। दक्षिणाभिमुख हनुमान जी का विग्रह प्रतिष्ठित है। यह विग्रह देवी स्वरूप में है जिनके हाथ में गदा के बजाय कटार है। मान्यता है कि हनुमान जी ने यह स्वरूप उस समय धारण किया था जब वह अहिरावण की कैद से भगवान राम व अनुज लक्ष्मण को मुक्त कराने के लिए पाताल लोक में गये थे।

इस अवसर पर मंदिर में सन्त राम शरण दास रामायणी ने उपस्थित भक्तों के मध्य हनुमान जन्म की कथा सुनाई। रामनगरी के हनुमानगढ़ी की प्रधान पीठ पर हनुमान जयंती कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी यानि छोटी दीवाली को मनाने की परम्परा है। इसी परम्परा का निर्वहन दूसरे मंदिरों में भी होता है। लेकिन दक्षिण भारतीय परम्परा में हनुमान जयंती चैत्र शुक्ल पूर्णिमा को मनाई जाती है। इस परम्परा का निर्वहन महाराष्ट्रीयन उपासना पद्धति के अनुयायी कालेराम मंदिर में होता है।

सालासर हनुमान जी की परम्परा में विराजमान जानकी महल में सायंकाल मनेगी जयंती

जनक नंदिनी जानकी के मायका के रूप में प्रचलित रामनगरी के जानकी महल में भी हनुमान जयंती का आयोजन चैत्र शुक्ल पूर्णिमा को ही होता है। यहां आज जयंती का आयोजन शाम गोधूलि बेला में विधिपूर्वक होगा। जन्म से पूर्व हनुमान चालीसा व सुंदरकांड के संगीतमय पाठ के साथ बधाई गान उसके बाद सायंकाल वैदिक मंत्रोच्चार के साथ भगवान का पंचामृत से अभिषेक कर षोडशोपचार पूजन किया जाएगा।

कालेराम मंदिर महंत राघवेंद्र राव दिगम्बर देश पांडेय ने बताया मंदिर में विराजमान हनुमान जी का विग्रह भगवान श्रीराम-लक्ष्मण की रक्षा के लिए पाताल लोक मे देवी का रूप धारण किए हुए हैं। देवी के स्वरूप के साथ उन्हीं की तलवार भी हनुमान जी के हाथ में है। उनके पैर के नीचे अहिरावण है।

उन्होंने बताया कि कालेराम के गर्भगृह में विराजमान श्रीराम पंचायतन में भगवान श्रीराम चारो भैया और जानकी जी काले सालिग्राम के एक ही मणि पत्थर में दर्शन देते हैं। उन्होंने बताया कि पहले यह मूर्ति श्रीरामजन्मभूमि पर विराजमान थी। जिसे वहां के पुजारी ने 1528 में अपवित्र होने के डर से सरयू में प्रवाहित कर दिया है। कालांतर में यह दिव्य मूर्ति स्वप्न के जरिए सरयू स्नान करते समय एक महाराष्ट्रीयन ब्राह्मण को प्राप्त हुई और पूजा शुरू हुई।

उन्होंने बताया कि आज जयंती पर सुबह 7 बजे काले राम मंदिर के गर्भगृह में विराजमान श्रीराम पंचायतन के विग्रहों की श्रृंगार आरती कर स्तुति और प्रसाद वितरण किया गया।इस अवसर पर पुजारी गोपाल राव देश पांडेय, सहायक पुजारी भालचंद्र देश पांडेय, हनुमत सदन के महंत अवध किशोर शरण सहित सैकड़ों भक्त उपस्थित रहे।

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