Ayodhya ram mandir का निर्माण पूर्ण होने के साथ आज का दिन ऐतिहासिक बन गया। मंदिर के शिखर पर भगवा ध्वज फहराने का क्षण पूरे देश की निगाहें खींच रहा था।
यह ध्वज 10 फीट ऊँचा और 20 फीट लंबा त्रिभुजाकार स्वरूप लिए हुए है।
ध्वज पर चमकता सूर्य, ‘ॐ’ चिन्ह और कोविदारा वृक्ष विशेष प्रतीकात्मकता दर्शाते हैं।
ये चिन्ह भगवान राम के तेज, शक्ति, मर्यादा और सांस्कृतिक निरंतरता का संकेत माने जाते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आरएसएस प्रमुख द्वारा मिलकर ध्वजारोहण किया गया।
ध्वज पारंपरिक उत्तर भारतीय नागर शैली में निर्मित मंदिर के भव्य शिखर पर लहराया।
इस शिखर को चारों ओर 800 मीटर के परकोटे ने घेरा है, जिसे दक्षिण भारतीय शैली में बनाया गया है।
यह अनोखा संयोजन मंदिर की वास्तुकला में भारत की विविधता को दर्शाता है।
प्रधानमंत्री का अगला पड़ाव सप्तमंदिर था, जहाँ सात महान विभूतियों को समर्पित मंदिर बने हैं।
इनमें महर्षि वशिष्ठ, विश्वामित्र, अगस्त्य और वाल्मीकि जैसे ऋषियों के मंदिर शामिल हैं।
देवी अहिल्या, निषादराज गुहा और माता शबरी के मंदिर भी इस पवित्र परिक्रमा पथ का हिस्सा हैं।
इसके बाद प्रधानमंत्री ने शेषावतार और माता अन्नपूर्णा मंदिर में पूजा-अर्चना की।
रामलला गर्भगृह के दर्शन के बाद उनका अगला कदम ध्वजारोहण स्थल की ओर था।
दोपहर के आसपास उन्होंने मंदिर शिखर पर भगवा ध्वज फहराकर निर्माण पूर्ण होने का संकेत दिया।
इस क्षण ने सांस्कृतिक उत्सव, आस्था और राष्ट्रीय एकता का नया अध्याय खोल दिया।
कार्यक्रम के अंत में प्रधानमंत्री ने विशाल जनसमूह को संबोधित किया और संदेश दिया।




