भागीरथी घाटी में मलबे ने बढ़ाई चिंता
उत्तरकाशी, 25 अक्टूबर (हि.स.)। भागीरथी घाटी में गंगोत्री से उत्तरकाशी तक के लगभग 100 किलोमीटर क्षेत्र में जमा मलबा स्थानीय प्रशासन और निवासियों के लिए चिंता का कारण बन गया है। इको-सेंसिटिव जोन के नियमों के कारण नदी में ड्रेजिंग नहीं हो पा रही है, जिससे जलस्तर चार मीटर तक बढ़ गया है।
मलबा और बाढ़ का खतरा
पांच अगस्त को धराली में खीरगंगा और आसपास के गदेरों से लाखों टन मलबा भागीरथी नदी में बहकर आया। मानसून के दौरान जमा मलबा यदि निकाला नहीं गया, तो आने वाले समय में बाढ़ और कटाव की संभावना बढ़ सकती है। इस कारण नदी के किनारे बसे मुखवा, बगोरी, झाला और गंगोत्री हाईवे समेत बस्तियों के लिए खतरा बना हुआ है।
ड्रेजिंग क्यों रोकी गई
सहायक भूवैज्ञानिक एवं खान अधिक प्रदीप कुमार ने बताया कि इको-सेंसिटिव जोन में होने के कारण नदी की ड्रेजिंग पर रोक है। आमतौर पर ड्रेजिंग नदियों में जमा मलबा हटाने, जल प्रवाह बनाए रखने और जलमार्गों को सुरक्षित बनाने के लिए की जाती है।
समाधान और सुझाव
विशेषज्ञों का मानना है कि मलबा हटाने से न केवल नदी का प्राकृतिक प्रवाह सुधरेगा, बल्कि सरकार का रैवन्यू भी बढ़ेगा और बाढ़ का खतरा कम होगा। प्रशासन और सरकार को नियमों और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन बनाए रखना होगा, ताकि घाटी और बस्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।




