बिहार के वोटिंग उत्साह ने दुनिया का खींचा ध्यान, देश की राजनीति और आगामी चुनावों के समीकरण बदलने के संकेत
पटना, 07 नवंबर (हि.स.)। बिहार ने एक बार फिर अपने राजनीतिक महत्व को साबित करते हुए 64.66 प्रतिशत मतदान के साथ नया इतिहास रच दिया। यह आंकड़ा न केवल राज्य की राजनीति बल्कि देश की आगामी चुनावी रणनीतियों को भी प्रभावित करने वाला है।
इतिहास दोहरा रहा है खुद को
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि जब भी बिहार में मतदान का प्रतिशत 60 से ऊपर गया, तब सत्ता परिवर्तन या अप्रत्याशित नतीजे देखने को मिले। इस बार भी बढ़ी हुई भागीदारी से एनडीए और महागठबंधन दोनों के सामने नई रणनीतिक चुनौतियां खड़ी हो गई हैं।
महिलाओं का निर्णायक प्रभाव — ‘सिक्रेट वोटर’ की भूमिका
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महिला मतदाताओं को “सिक्रेट वोटर” बताया है। उनकी बढ़ती भागीदारी इस चुनाव में निर्णायक भूमिका निभा सकती है। एनडीए को उम्मीद है कि महिला सशक्तिकरण योजनाएं और विकास कार्यक्रम उन्हें फायदा देंगे, जबकि महागठबंधन युवाओं और महिलाओं को अपने पक्ष में लाने की कोशिश कर रहा है।
वैश्विक स्तर पर भारत के लोकतंत्र की मिसाल
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि बिहार की वोटिंग सिर्फ राज्य तक सीमित नहीं, बल्कि यह भारत के लोकतंत्र की जीवंतता का संकेत है। बढ़ा मतदान राष्ट्रीय नीतियों और लोकसभा चुनावों पर भी असर डाल सकता है।
दूसरे चरण पर निगाहें
अब निगाहें 11 नवंबर को होने वाले दूसरे चरण के मतदान पर हैं। अगर यही रुझान कायम रहा, तो बिहार का असर देश की राजनीति पर गहराई से महसूस किया जाएगा।




