Thu, Jun 19, 2025
35 C
Gurgaon

यूपी के किसानों को भा रही मक्के की खेती, मेंथा की जगह ले रहा बहुउपयोगी अन्न

लखनऊ, 17 जून (हि.स.)।
उत्तर प्रदेश में अब किसानों की पसंद बदलने लगी है। लंबे समय से मेंथा उत्पादन के लिए विख्यात बाराबंकी जैसे जिलों में अब किसान तेजी से मक्के की खेती की ओर रुख कर रहे हैं। कारण साफ है—कम लागत, कम पानी की जरूरत, अधिक लाभ और बाजार में स्थिर मांग। राज्य सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और वैज्ञानिक मार्गदर्शन ने इस बदलाव को और गति दी है।

कम पानी, अधिक मुनाफा

परंपरागत रूप से बाराबंकी जैसे जिलों में जायद सीजन में खेत या तो खाली छोड़े जाते थे या मेंथा की खेती होती थी, जिसमें बेहद अधिक पानी की जरूरत पड़ती है। इसके विपरीत मक्का कम पानी में अच्छी उपज देता है, जिससे किसानों का रुझान तेजी से इसकी ओर बढ़ा है। मसौली, रामनगर, फतेहपुर और निंदूरा ब्लॉक में तीन वर्षों से किसानों को मक्का बीज वितरण व तकनीकी जानकारी दी जा रही है।

सरकारी समर्थन से मिल रहा बल

विपणन वर्ष 2024-25 के लिए योगी सरकार ने मक्का की एमएसपी ₹2225 प्रति कुंतल निर्धारित की है और 15 जून से इसकी खरीद प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। इसके अतिरिक्त बाजार में निजी व्यापारियों से किसानों को ₹2500 प्रति कुंतल तक की कीमत भी मिल रही है, जिससे लाभ और बढ़ रहा है।

पोषण से भरपूर और बहुउपयोगी

मक्का न केवल आर्थिक दृष्टि से फायदेमंद है, बल्कि पोषण से भी भरपूर है। इसमें धान और गेहूं की तुलना में अधिक प्रोटीन, पर्याप्त फाइबर, खनिज लवण, कैल्शियम और आयरन होता है। यही कारण है कि यह मानव आहार, पशु चारा, और कुक्कुट आहार में व्यापक रूप से प्रयोग किया जाता है।

वैज्ञानिकों की सलाह: उपयुक्त समय और तकनीक

कृषि विज्ञान केंद्र, बेलीपार (गोरखपुर) के प्रभारी डॉ. एसके तोमर के अनुसार, 15 जून से 15 जुलाई तक मक्का की बुवाई का उपयुक्त समय है। यदि सिंचाई की सुविधा हो तो मई के अंत में भी बोआई की जा सकती है। प्रति एकड़ 8 किलोग्राम बीज, लाइन से लाइन की 60 सेमी दूरी और पौधे से पौधे की 20 सेमी दूरी रखने की सलाह दी जाती है। यदि संभव हो तो बेड प्लांटर का प्रयोग करें।

एक नई पहचान की ओर

मेंथा से मक्का की ओर यह बदलाव केवल खेती की शैली का नहीं, बल्कि एक आर्थिक दृष्टिकोण में बदलाव का संकेत है। बाराबंकी जैसे प्रगतिशील जिलों के किसान, जिनमें पद्मश्री सम्मानित रामशरण वर्मा जैसे नाम भी शामिल हैं, नई तकनीकों और फसलों को तेजी से अपनाने के लिए पहचाने जाते हैं।


निष्कर्ष
मक्का की खेती उत्तर प्रदेश में कृषि की नई दिशा बनती दिख रही है। कम लागत, बेहतर मूल्य और पोषणवर्धक गुणों ने इसे किसानों की पहली पसंद बना दिया है। यदि यह रुझान यूं ही बढ़ता रहा तो आने वाले वर्षों में उत्तर प्रदेश मक्का उत्पादन में भी एक नया मुकाम हासिल कर सकता है।

Hot this week

Ratan Tata ने अपनी वसीयत में पेटडॉग का भी रखा ध्यान, जानिए अब कौन करेगा Tito की देखभाल

 हाल ही में देश के सबसे बड़े औद्योगिक घराने...

गंगा नदी के हालात का आकलन करने के लिए पर्यावरणविदों का विशेष अभियान

कोलकाता, 25 जनवरी (हि.स.)कोलकाता की एक पर्यावरण संस्था ‘मॉर्निंग...
spot_img

Related Articles

Popular Categories