रमेश सर्राफ धमोरादिल्ली विधानसभा चुनाव में दलित-ओबासी मत निर्णायक भूमिका में है। इस बार सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आआपा), भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय मुकाबला नजर आ रहे है। आआपा चौथी बार सरकार बनाने के लिए संघर्षरत है। भाजपा दिल्ली में डबल इंजन सरकार का सपना पाले है। कांग्रेस को लगता है कि उसका वनवास खत्म होगा। कहने को तो दिल्ली केंद्रशासित प्रदेश है। यहां की सरकार व मुख्यमंत्री के पास अन्य प्रदेशों की तरह अधिकार नहीं होते हैं। मगर दिल्ली का मुख्यमंत्री होना अपने आप में बड़ी बात है। दिल्ली से ही देश की सरकार चलती है। ऐसे में दिल्ली में जो सरकार बनती है उसके महत्व को नकारा नहीं जा सकता है।दिल्ली के चुनाव में इस बार दलित, जाट व गुर्जर मतदाताओं की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होने जा रही है। दिल्ली में 12 विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। यहां करीबन 18 प्रतिशत दलित मतदाता है। दिल्ली की आरक्षित 12 सीटों के अलावा 18 और ऐसी विधानसभा सीटे हैं जहां दलित मतदाताओं की संख्या 15 प्रतिशत से अधिक है। ऐसे में दिल्ली की 30 विधानसभा सीटों पर दलित मतदाताओं की भूमिका महत्वपूर्ण रहने वाली है। बवाना, सुल्तानपुर माजरा, मंगोलपुरी, करोल बाग, पटेल नगर, मादीपुर, देवली, अंबेडकर नगर, त्रिलोकपुरी, कोंडली, सीमापुरी, गोकुलपुर विधानसभा सीट को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित किया गया है। इसके अलावा करीबन 15 से 20 अन्य ऐसी सीटें है जहां दलित मतदाता निर्णायक भूमिका में रहते हैं। इसलिए दिल्ली विधानसभा की 70 में से करीबन 30 सीटों पर दलित मतदाताओं की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। साल 2020 के विधानसभा चुनाव में सभी 12 आरक्षित सीटों पर आम आदमी पार्टी विजयी हुई थी। इसलिए आआपा का पूरा फोकस दलित मतदाताओं पर है। दिल्ली के अनुसूचित जाति के मतदाताओं में से 38 फीसदी जाटव और 21 फीसदी वाल्मीकि है। पिछले लोकसभा चुनाव में अनुसूचित जाति के मतदाताओं के लिए देश भर में आरक्षित 84 लोकसभा सीटों में से भाजपा मात्र 30 सीट पर ही चुनाव जीत पाई थी। इंडी गठबंधन के भाजपा द्वारा संविधान बदलने के नारे के कारण दलित मतदाता भाजपा से छिटककर विपक्षी खेमे में चले गए थे। इसी तरह दिल्ली में भी पिछले दो विधानसभा चुनाव में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सभी 12 सीटों पर आआपा जीतती आ रही है। इसलिए अनुसूचित जाति के मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए भाजपा व कांग्रेस इस बार के चुनाव में पूरा जोर लगा रही हैं।भाजपा ने 12 आरक्षित सीटों के अलावा दो सामान्य सीटों मटिया महल से दीप्ति इंदौरा व बल्लीमारन से कमल बागड़ी को उम्मीदवार बनाया है। इस तरह भाजपा ने कुल 14 सीटो पर दलित उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है।कांग्रेस ने भी नरेला से अनुसूचित जाति की अरुणा कुमारी को टिकट देखकर कुल 13 सीटों पर दलित प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है। भाजपा व कांग्रेस की रणनीति है कि दलित मतदाताओं को आम आदमी पार्टी से दूर किया जाए। आआपा ने 12 आरक्षित सीटों पर ही अनुसूचित जाति के लोगों को टिकट दिया है। हरियाणा व महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में दलित मतदाताओं का रुझान भाजपा की तरफ रहा है। इसी से उत्साहित होकर भाजपा अनुसूचित जाति के मतदाताओं की बहुलता वाली सीटों पर विशेष चुनावी प्रबंधन कर चुनावी रणनीति बना रही है।दिल्ली में जाट मतदाताओं की बहुलता वाली 10 सीटों महरौली, मुंडका, रिठाला, नांगलोई, मटियाला, पालम, नरेला, विकासपुरी, नजफगढ़ व बिजवासन पर आआपा का कब्जा है। इस बार भाजपा आआपा से इन सभी 10 सीटों को छीन कर अपनी वापसी का प्रयास कर रही है। भाजपा ने इस बार करीबन 14 टिकट जाट नेताओं को दिए हैं। इनमें पूर्व सांसद प्रवेश वर्मा नई दिल्ली से पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सामने चुनाव लड़ रहे हैं। आआआपा सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री कैलाश गहलोत भी भाजपा के टिकट पर बिजवासन से चुनाव लड़ रहे हैं। गहलोत के भाजपा में जाने से आआपा के पास कोई बड़ा जाट नेता नहीं रह गया है। दिल्ली में गुर्जर मतदाताओं की भी बड़ी संख्या है। इनके प्रभाव वाली छतरपुर, मुस्तफाबाद, तुगलकाबाद, घोंडा, गोकुलपुरी, ओखला सीट पर आआपा का कब्जा है। बदरपुर, करावल नगर व पालम पर भाजपा का कब्जा है। दिल्ली के पूर्व सांसद व बड़े गुर्जर नेता रमेश बिधूड़ी को भाजपा ने मुख्यमंत्री आतिशी मार्लेना के खिलाफ चुनाव मैदान में उतार कर चुनाव को रोचक बना दिया है। दिल्ली में मदनलाल खुराना व साहिब सिंह वर्मा के बाद हमेशा बाहरी व्यक्ति ही मुख्यमंत्री बनता रहा है। सुषमा स्वराज, शीला दीक्षित, अरविंद केजरीवाल, अतिशी मार्लेना जैसे लोग दिल्ली के मूल निवासी नहीं है। दिल्ली के लोग चाहते हैं कि अब की बार दिल्ली का ही रहने वाला नेता दिल्ली का मुख्यमंत्री बने। जाट मतदाताओं की पसंद साहिब सिंह वर्मा के बेटे प्रवेश वर्मा हैं। गुर्जर मतदाता रमेश बिधूड़ी को पसंद करते हैं।(लेखक, हिन्दुस्थान समाचार से संबद्ध हैं।)