कोलकाता, 14 नवंबर (हि.स.)।
दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास हुए धमाके की जांच में अब पश्चिम बंगाल की कड़ी सामने आई है। गुजरात एटीएस द्वारा गिरफ्तार आतंकी आज़ाद अहमद शेख के बंगाल प्रवास से जुड़े नए इनपुट ने पूरे केस की दिशा बदल दी है।
जांच एजेंसियों के अधिकारियों के अनुसार, आज़ाद ने जून–जुलाई में लगभग डेढ़ माह पश्चिम बंगाल में बिताया था। इस दौरान वह कोलकाता को बेस बनाकर मुर्शिदाबाद, मालदा और उत्तर बंगाल के सीमावर्ती इलाकों में लगातार घूमता रहा। शक है कि इसी दौरान रेंड़ी के बीज से बनने वाले घातक ज़हर ‘रिसिन’ की साजिश से जुड़े कई महत्वपूर्ण लिंक सक्रिय किए गए।
तफ्तीश में यह भी खुलासा हुआ है कि यह पूरा मॉड्यूल इस्लामिक स्टेट खोरासान प्रांत (ISKP) से सीधा जुड़ा है। गुजरात एटीएस के हाथ लगे डॉक्टर सैयद अहमद मह्यूददीन को आईएसकेपी का शीर्ष कमांडर अबू खादिज़ा निर्देश देता था। यही मह्यूददीन आज़ाद को भी कंट्रोल कर रहा था।
दिल्ली, बंगाल और कश्मीर—इस त्रिकोण संबंध ने साजिश को और गहरा कर दिया है।
सूत्रों के मुताबिक, धमाके के बाद फरार हुए एक अन्य डॉक्टर मुजफ़्फर रादर की भूमिका भी अहम मानी जा रही है। वह आईएसकेपी और चिकित्सक मॉड्यूल के बीच मुख्य कड़ी था। अब माना जा रहा है कि मुजफ्फर और आज़ाद के बंगाल कनेक्शन एक-दूसरे से जुड़े हुए थे।
जांच में यह भी पाया गया है कि आज़ाद खुद को धार्मिक संगठन का प्रतिनिधि बताकर संवेदनशील जिलों में घूमता रहा। आरोप है कि इसी रूट से विस्फोटक और उसका सामान भारत में लाया गया, जिसका एक बड़ा हिस्सा ट्रेन के ज़रिए पूर्वोत्तर–दिल्ली कॉरिडोर से आगे बढ़ाया गया।
एजेंसियां अब यह जांच कर रही हैं कि क्या इस मॉड्यूल ने बंगाल या बांग्लादेश के रास्ते भारत में विस्फोटक, हथियार या रिसिन डालने के लिए कोई सिंडिकेट बनाया था। इसके लिए उन स्थानों की जांच की जा रही है, जहां इस नेटवर्क से जुड़े डॉक्टर पढ़े, पढ़ाते या काम करते रहे।




