लाल आतंक की गिरती जड़ें
कभी देश के 17% हिस्से को दहला देने वाला नक्सलवाद अब अपने अंत की ओर है। भारत में नक्सलवाद समाप्ति का रास्ता मोदी सरकार की सख्त और संतुलित नीति से संभव हुआ है। जहां पहले 126 जिले नक्सल प्रभाव में थे, वहीं अब केवल 18 जिले शेष हैं।
आत्मसमर्पण का बढ़ता दौर
पिछले दो वर्षों में नक्सलियों के आत्मसमर्पण की संख्या तेज़ी से बढ़ी है। 2024 में 881 और 2025 में अब तक 1241 नक्सलियों ने हथियार डाले हैं। यह दिखाता है कि सरकार की नीति “संवाद और सख़्ती” दोनों पर समान रूप से असरदार रही है।
विकास और सुरक्षा का समन्वय
मोदी सरकार ने संवाद, सुरक्षा और समन्वय पर एक साथ काम किया। जंगलों में पुलिस थानों की संख्या 66 से बढ़ाकर 576 की गई। अब पहले जैसी हिंसा नहीं, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य और विकास की पहुंच वहां तक हो रही है जहां पहले गोलियों की गूंज थी।
एकीकृत नीति से मिली सफलता
गृहमंत्री अमित शाह के नेतृत्व में सरकार ने स्पष्ट किया—जो आत्मसमर्पण करेगा, उसका स्वागत होगा; जो हिंसा करेगा, उसे सख्त कार्रवाई झेलनी होगी। इसी नीति से भारत में नक्सलवाद समाप्ति संभव हुई है।
2026 तक नक्सलवाद का अंत
विशेषज्ञों के अनुसार, 31 मार्च 2026 तक भारत पूरी तरह नक्सलवाद मुक्त हो जाएगा। अब लाल सलाम की जगह विकास, शांति और संविधान के मूल्यों की विजय होने जा रही है।




