सुप्रीम कोर्ट की चिंता
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश, पंजाब और जम्मू-कश्मीर समेत हिमालयी राज्यों में बढ़ते भूस्खलन और बाढ़ पर गहरी चिंता जताई है। चीफ जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र सरकार, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए), भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) और संबंधित राज्यों को नोटिस जारी किया है।
आपदा की वजह और निर्देश
कोर्ट ने कहा कि हिमालयी क्षेत्र में पेड़ों की अवैध कटाई इस आपदा की मुख्य वजह है। संबंधित पक्षकारों से तीन हफ्ते के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा गया है। कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से इस आपदा से निपटने के लिए आवश्यक उपचारात्मक कदम सुनिश्चित करने को कहा।
याचिका और मांग
यह याचिका अनामिका राणा ने दायर की थी। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील आकाश वशिष्ठ ने बताया कि कई लोग सुरंगों और जोखिम वाले क्षेत्रों में फंसे हुए हैं। याचिका में एसआईटी का गठन कर भूस्खलन की जांच और आपदा प्रबंधन की योजना बनाने की मांग की गई है।
पर्यावरण और जीवन की सुरक्षा
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाना अनिवार्य है। हिमालयी नदियों और जंगलों के क्षरण से स्थानीय लोगों के जीवन पर सीधा खतरा है। कोर्ट ने केंद्र और राज्यों को निर्देश दिया कि आपदा प्रबंधन प्राधिकरण अपनी जिम्मेदारी निभाए और गंभीर परिस्थितियों से तुरंत निपटने के उपाय करें।