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हॉकी इंडिया ने खिलाड़ियों की देखभाल के लिए तैनात किया अतिरिक्त सपोर्ट स्टाफ

नई दिल्ली, 08 अप्रैल (हि.स.)। खिलाड़ियों की सेहत और फिटनेस को प्राथमिकता देते हुए हॉकी इंडिया ने 15वीं सीनियर पुरुष हॉकी नेशनल चैंपियनशिप 2025 के लिए अतिरिक्त सपोर्ट स्टाफ उत्तर प्रदेश के झांसी में भेजा है। इसमें एक फिजियोथेरेपिस्ट और एक मसाज थैरेपिस्ट शामिल हैं, जो राष्ट्रीय टीम के खिलाड़ियों को टूर्नामेंट के दौरान तुरंत मेडिकल सहायता और रिकवरी सपोर्ट प्रदान कर रहे हैं।

इस बार की सीनियर नेशनल चैंपियनशिप में कुल 31 भारतीय पुरुष हॉकी टीम के खिलाड़ी भाग ले रहे हैं। इनमें हार्दिक सिंह, जर्मनप्रीत सिंह, कृष्ण बहादुर पाठक, अभिषेक, अमित रोहिदास, सुमित, गुरजंत सिंह और संजय जैसे दिग्गज नाम हैं। हॉकी इंडिया का यह कदम इसलिए भी अहम है, क्योंकि अधिकतर राज्य टीमों के पास अपने फिजियो या मेडिकल स्टाफ नहीं होते, जबकि राष्ट्रीय टीम के खिलाड़ी प्रोफेशनल सेटअप के आदी होते हैं।

भारतीय पुरुष हॉकी टीम के मुख्य कोच क्रेग फुल्टन ने एक आधिकारिक बयान में कहा, “यह हॉकी इंडिया की तरफ से एक बेहद जरूरी और सकारात्मक पहल है। इससे खिलाड़ियों को चोट से बचाने और बेहतर परफॉर्मेंस देने में मदद मिलेगी। खासकर एफआईएच प्रो लीग जैसे अहम टूर्नामेंट से पहले यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि खिलाड़ी फिट और तैयार रहें।”

हॉकी इंडिया के अध्यक्ष डॉ. दिलीप तिर्की ने कहा, “हमारे खिलाड़ियों की सेहत सबसे अहम है। जब इतने बड़े स्तर पर राष्ट्रीय टीम के खिलाड़ी सीनियर नेशनल्स में खेल रहे हों, तो हमें उन्हें वह मेडिकल और रिकवरी सुविधाएं देनी चाहिए जिसके वे हकदार हैं। इससे न केवल उनकी सुरक्षा सुनिश्चित होती है, बल्कि टूर्नामेंट का स्तर भी ऊपर उठता है।”

हॉकी इंडिया के महासचिव श्री भोला नाथ सिंह ने बताया कि यह फैसला पिछले साल ही ले लिया गया था, ताकि खिलाड़ियों की देखभाल में निरंतरता बनी रहे। “सीनियर नेशनल्स हमारे डोमेस्टिक कैलेंडर का अहम हिस्सा हैं और इसमें राष्ट्रीय टीम के कई खिलाड़ी भाग लेते हैं। फिजियो और मसाज थैरेपिस्ट की तैनाती खिलाड़ियों को फिट बनाए रखने और दीर्घकालिक चोटों से बचाने में मदद करेगी।

15वीं सीनियर पुरुष हॉकी नेशनल चैंपियनशिप 4 अप्रैल से 15 अप्रैल तक झांसी के प्रतिष्ठित मेजर ध्यानचंद हॉकी स्टेडियम में आयोजित की जा रही है। इस बार टूर्नामेंट उसी नए डिवीजन आधारित फॉर्मेट में हो रहा है, जैसा मार्च में महिला सीनियर नेशनल्स में लागू किया गया था। इसके लिए कुल 30 टीमों को तीन डिवीज़न ए, बी, सी में बांटा गया है, जिससे टूर्नामेंट में प्रतिस्पर्धा और रोमांच दोनों चरम पर हैं। साथ ही प्रमोशन और रेलिगेशन सिस्टम ने इसे और अधिक चुनौतीपूर्ण बना दिया है।

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