मध्य प्रदेश पर्यटन ने पिछले कुछ वर्षों में वैश्विक पहचान बनाई है। भारत के हृदय में स्थित यह प्रदेश अब देश-विदेश के यात्रियों के लिए भरोसे और अनुभव का केंद्र बन गया है। महामारी के बाद पर्यटन उद्योग पुनर्जीवन की राह तलाश रहा था, तब मध्यप्रदेश ने योजनाबद्ध ढंग से अपनी साख दोबारा स्थापित की।
राज्य अब विरासत, वन्यजीवन, फिल्म, एमआईसीई और वेडिंग टूरिज्म में अग्रणी बन गया है। खजुराहो, महेश्वर, मांडू, पचमढ़ी और भोपाल जैसे शहर अब विवाह समारोह और कॉर्पोरेट इवेंट्स के लिए पसंदीदा स्थल बन गए हैं। पारंपरिक स्थापत्य, शांत परिवेश और उत्कृष्ट आतिथ्य ने इन्हें विशिष्ट पहचान दी है। वेडिंग और एमआईसीई टूरिज्म ने स्थानीय कारीगरों, संगीतज्ञों और सेवा क्षेत्र को नए अवसर दिए हैं।
फिल्म पर्यटन भी मध्यप्रदेश की प्रमुख पहचान बन चुका है। भोपाल, महेश्वर, पचमढ़ी, जबलपुर और ग्वालियर जैसे शहर फिल्मकारों के प्रिय स्थल बन गए हैं। फिल्म नीति ने शूटिंग प्रक्रिया सरल बनाई और स्थानीय कलाकारों के लिए रोजगार सृजित किया।
राज्य प्रशासन और पर्यटन बोर्ड ने सतत पर्यटन और स्थानीय समुदायों को जोड़ने पर जोर दिया है। ग्रामीण और ईको-टूरिज्म के माध्यम से पर्यटक स्थानीय जीवन, संस्कृति और पाक-परंपराओं का अनुभव कर रहे हैं। सतपुड़ा, कान्हा, बांधवगढ़ और पेंच जैसे वनक्षेत्रों में ईको-लॉज और होम-स्टे मॉडल फलफूल रहे हैं।
मध्यप्रदेश ने अंतरराज्यीय सहयोग की दिशा में भी पहल की है। राजस्थान, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के साथ साझा पर्यटन परिपथ विकसित किए जा रहे हैं, जिससे यात्रियों को विविध अनुभव मिलेंगे।
राज्य की नीतियों में विरासत संरक्षण और आधुनिक सुविधाओं का संतुलन देखा जा सकता है। 498 राज्य संरक्षित, 290 एएसआई संरक्षित स्मारक और तीन यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल इसका प्रमाण हैं। भोपाल और ग्वालियर का यूनेस्को क्रिएटिव सिटी नेटवर्क में शामिल होना भी ऐतिहासिक कदम है।
मध्यप्रदेश पर्यटन अब केवल यात्रा नहीं, बल्कि भावनाओं, आत्मीयता और सांस्कृतिक अनुभव का प्रतिनिधित्व करता है। यही वह भरोसा है जिसने इसे भारत के हृदय से विश्व पर्यटन का केंद्र बना दिया है।