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यज्ञ और गाय मानव जाति के रक्षक हैं : श्रीमहन्त यमुनापुरी जी महाराज

महाकुम्भ नगर, 31 जनवरी (हि.स.)। श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत यमुना पुरी जी महाराज देश के उन गिने-चुने संतों में से जो धर्म-अध्यात्म के साथ पर्यावरण, कृषि, समाज और समसामयिक मुद्दों पर अपनी राय पूरी बेबाकी और दृढ़ता से रखते हैं। महाकुम्भ में पधारे श्रीमहंत यमुना पुरी जी से हिन्दुस्थान समाचार की ओर से डॉ. आशीष वशिष्ठ ने लंबी बातचीत की। यहां प्रस्तुत है बातचीत का महत्वपूर्ण अंश…..

प्रश्न : पर्यावरण प्रदूषण की बढ़ती समस्या को आप किस तरह देखते हैं?उत्तर : पर्यावरण प्रदूषण की समस्या पूरी मानव जाति के बड़ा खतरा है। सबसे ज्यादा चिंता की बात भूमिगत जल का प्रदूषण है, जिस पर किसी का ध्यान नहीं है। भूमिगत जल को प्रदूषित करना सबसे बड़ा अपराध है। सरकार को भी सब पता है। लेकिन सभी लोग आर्थिक उन्नति के फेर में पड़े हुए हैं। सरकार नहीं चाहती कि कारखाने वालों का नुकसान हो, भले ही मानवता का कितना भी नुकसान हो जाए। जो लोग भूमिगत जल को प्रदूषित कर रहे हैं, उन्हें मृत्युदण्ड की सजा मिलनी चाहिए।

प्रश्न : खेती में रासायनिक खादों का उपयोग बढ़ने से धरती बंजर और अनाज जहरीला हो रहा है, इसको आप किस तरह देखते हैं?उत्तर : देखिए, आजादी के बाद हमारे देश में आधुनिकता, तकनीकी के प्रयोग तथा उत्तम किस्म के खाद, बीज और कीटनाशकों के समुचित इस्तेमाल से पैदावार बढ़ी। लेकिन आज के हालत इसके विपरीत होते नजर आ रहे हैं क्योंकि रासायनिक खादों का अंधाधुंध प्रयोग हो रहा है। जिसके परिणाम बहुत गंभीर हो सकते हैं। किसान उच्च उत्पादन के लालच में शारीरिक व मानसिक दुष्प्रभावों से अनजान बने हैं। रासायनिक खादों के असंतुलित प्रयोग से कृषि उत्पाद जहरीले होते जा रहे हैं जिससे कई लाइलाज बीमारियों का जन्म हुआ है। रासायनिक खादों के प्रयोग से जमीन के मित्र कीट जैसे केंचुआ इत्यादि नष्ट होते जा रहे हैं जो जैविक क्रियाओं द्वारा मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने का काम करते हैं। अनाज को जहर मुक्त बनाने के लिए कृषक को जागरूक तरीके से खेती-बाड़ी की परंपरागत व्यवस्था में बदलाव लाना चाहिए। किसान को अपनी जमीन की गुणवत्ता व उससे उत्पादित अनाज को खाने के प्रयोग के लिए कुछ सजगता बरतनी होगी। जैविक खादों के प्रयोग पर जोर देना चाहिए। फसल अवशेषों को खेतों में जलाने के बजाय भूमि में मिला देना चाहिए। पशुशाला के अवशेष, केंचुआ खाद, हरी खाद इत्यादि का अधिक से अधिक प्रयोग करना चाहिए।

प्रश्न : गौ संरक्षण के बातें तो बहुत होती हैं, लेकिन गौ की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है, इस पर आपके क्या विचार हैं?उत्तर : यह एक दुर्भाग्य ही है कि जिस देश में गौ को पूज्य और गौरक्षा को धर्म माना जाता है, उसी में उसकी सबसे अधिक दुर्गति हो। गौवंश बुरी तरह खराब हो चुकी है। जरा सा दूध देती और बेकार समझी जाती है। गौवंश बुरी तरह घटता और नष्ट होता चला जा रहा है। उसका एक मात्र कारण उस ओर बरती जाने वाली हमारी उपेक्षा ही प्रधान कारण है। मासाहारी देशों में गायें एक-एक मन दूध दें और गौरस की नहरें बहे और हम गौ-भक्तों में उसका दर्शन भी दुर्लभ रहें, यह कैसी विडम्बना है। अन्न और दूध हम गौवंश की कृपा से ही प्राप्त कर सकते हैं, इसलिये उसका संरक्षण सब प्रकार से उपयुक्त है। यज्ञ और गाय मानव जाति के रक्षक हैं। गाय के नष्ट होते ही यज्ञ नष्ट हो जाएंगे। यज्ञ और गाय नष्ट हुईं तो हम किस पर्यावरण की बात करेंगे। गाय का रक्षण सिर्फ गाय के लिए नहीं मनुष्य जाति अपने लिये करे।

प्रश्न : वक्फ बोर्ड को खत्म करने की आवाज कई मंचों से उठ रही है, इस पर आपकी क्या राय है?उत्तर : वक्फ बोर्ड को मान्यता देने वाले, जिन्होंने भी मान्यता दी है। शुरूआत में उन लोगों ने गम्भीरता से चिंतन नहीं किया कि क्या समस्याएं आ सकती हैं। एक तरफ तो कहोगे कि भारत में सभी अपने-अपने धर्म को मानने के लिये स्वंतत्र हैं। एक तरफ एक को ज्यादा तवज्जो दे दोगे वहीं दूसरे को उपेक्षित करोगे। जिस जगह को वो अपनी जगह कहकर चिल्ला रहे हैं, किसी भी आधार पर कह रहे हैं, कहां से लाये थे जमीन। सउदी अरब से लेकर आये थे जमीन। उसके पहले वो जमीन किसकी थी। अगर पीछे जाएं…. थोड़ा और पीछे जाएं तो। सारी कहानी अपने आप साफ हो जाएगी। इसकी (वक्फ बोर्ड) की कोई आवश्यकता नहीं थी। इसको (वक्फ बोर्ड) इनते अधिकार दे दिये गये थे। जिसकी वजह से ये सारे का सारा वितण्डा हो रहा है। हमारा देश तो पंथ निरपेक्ष है। तो सभी अपनी मान्यता वाले कहेंगे कि हमारा भी कोई बोर्ड हो, एक का ही क्यों हो (बोर्ड)? जो उनसे भी ज्यादा कम संख्या में हैं। उनको तो फिर जोर-शोर से बोलना पड़ेगा और जो बहुसंख्यक हैं वो तो बोलेगा ही बोलेगा। ऐसी स्थिति में उसे भंग कर देना चाहिए। इसका कोई औचित्य नहीं है, अर्थ नहीं है।

प्रश्न : हिन्दू राष्ट्र की मांग संत समाज से उठ रही है, इस पर आपका क्या विचार है?उत्तर : सनातन राष्ट्र की मांग क्यों नहीं उठेगी ? हिन्दू राष्ट्र की मांग क्यों नहीं उठेगी, उठनी चाहिए ? इसमें मुख्य बात यह है कि कैसे? इसमें दो चीजें हैं। मुख्य बात तो यह है कि इस धरती के ऊपर लगभग दो सौ के आसपास देश हैं। उसमें से हिन्दू राष्ट्र तो एक भी नहीं है। और हमारी आबादी का आंकड़ा देखें तो। इतनी बड़ी आबादी है सनातनधर्मियों की है, हिन्दू धर्म को मानने वालों की है, दुनिया भर में डेढ अरब के करीब हैं। जिनकी आबादी हमारे से बहुत कम है, उनके कई-कई देश हैं। तो कम से कम एक दो कंट्री (देश) तो हमारी होनी ही चाहिये। क्यों नहीं होनी चाहिये? किसी ने कागज के ऊपर जबरदस्ती लिख दिया पंथ निरपेक्ष, और वो भी किसी ऐसे समय में लिख दिया, जब इमरजेंसी लगी थी। कोई विरोध करने वाला नहीं था। ये तो जबरदस्ती थोपने की बात है। हिन्दू राष्ट्र की जो बात है। वो सिर्फ बात न रहे और कैसे हो? इसकी तरफ मजबूती के साथ कदम बढ़ाया जाय।। हां, इस रास्तें में बहुत सी चीजें आएंगी, उनके लिये तैयार रहना चाहिए। ऐसे ही सिर्फ नारे से हिन्दू राष्ट्र नहीं बन जाएगा। बहुत सी चीजें होगी, क्या सब चीजों के लिए तैयार हैं सब। ये कोई सामान्य विषय नहीं है, बहुत गम्भीर विषय है। इसको ऐसे ही हवा-हवा में नहीं बनाया जा सकता। जमीन पर काम करना होगा। जब जमीन पर काम करेंगे तो बहुत सी चीजें आएंगी। बहुत से विरोध होंगे। इसके लिये तैयार रहना चाहिये।

प्रश्न : प्रश्न : क्या आपको लगता है कि प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट (पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम , 1991) में बदलाव होना चाहिए या इसे खत्म कर देना चाहिए?उत्तर : इसको (प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट) को खत्म कर देना चाहिए। सारे प्रतिबन्ध हिन्दुओं पर क्यों लगाये जारहे हैं। असल में जो आधा-अधूरा ज्ञान है, उसको कानून का नाम देकर जबरदस्ती थोपने का काम न किया जाए। इस कानून का क्या अर्थ है। कल कहेंगे कि तुम जमीन के अंदर भी न खोजो। फिर तो पुरातत्व विभाग भी खत्म कर दो। क्या मतलब बनता है इस सब का? हम अपने भूतकाल के शौर्य, पराक्रम और पूर्व के चिह्नों को भी न खोज सकें, फिर तो बेकार है। इसको (विशेष पूजा स्थल अधिनियम) को रद्द कर देना चाहिए।

प्रश्न : हिन्दू बच्चियां लव जेहाद का शिकार हो रही हैं। ये हमारे संस्कारों की कमी है या फिर कोई और वजह है?उत्तर : पहली कमी तो संस्कारों की ही है। क्योंकि हम अगर अपने बच्चों का अपने धर्म की शिक्षा नहीं देंगे तो वो कहीं भी भ्रमित हो जाएंगे। वर्तमान में उनको (बच्चों को) न तो अपने धर्म का ज्ञान है। और न अपने धर्म पर गर्व है। तो सबसे पहले तो हमारी ही कमी है। दूसरा जो लोग ऐसा करते हैं, लालच के माध्यम से या झूठ और फरेब के माध्यम से उनके ऊपर सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। क्योंकि मनुष्य को भ्रमित करके ओर बाद में उसके साथ (बेटियों के साथ) अत्याचार जो लोग करते हैं, उन्हें दण्डित करना चाहिए।

प्रश्न : भारत विश्व में सबसे युवा देश है। युवाओं के लिये क्या संदेश देना चाहेंगे?उत्तर : युवा अपने मस्तिष्क के साथ शरीर को भी स्वस्थ और मजबूत बनाये। सुबह उठने और रात को जागने का समय निर्धारित करें। योग करें, व्यायाम करें, सूर्य नमस्कार करें। प्रकृति से जुड़े रहे, प्रकृति के विरोध में न जाएं। आधुनिकता के साथ साथ आध्यात्मिकता को पुष्ट करने के लिये बनायी गयी जो विधियां हैं, उनका भी बेहतर ढंग से इस्तेमाल करें। मनुष्यता के मापदण्डों पर खरा उतरने के लिए बेहतर से बेहतर होने के लिये अपने माता-पिता और गुरुजनों का सम्मान करें। बुजुर्गो की सेवा करें। इसी से युवाओं के जीवन में सुख और समृद्धि आएगी।

प्रश्न : कुम्भ की धरती से आप देशवासियों का क्या सन्देश देना चाहेंगे ?उत्तर : सनातन धर्म को जोड़ने में कुम्भ का बड़ा योगदान रहा है और हमेशा रहेगा। यहां साधु सन्त, यति, महात्मा बड़ी संख्या में इकट्ठे हो रहे हैं। उससे भी ज्यादा गृहस्थ समाज है। गृहस्थों और विरक्तों का यह सबसे बड़ा संगम है। यहां हमारी अगली पीढ़ी को यह सन्देश जाता है कि भारत मूल्यों की धरती रहा है। और यहां अमृत तत्व कभी मरता नहीं है। ऐसे तत्व के लिए अनुसंधान पहले भी हुए हैं, आज भी हो रहे हैं। मैं देशवासियों से कहना चाहता हूं कि अपनी संस्कृति से जुड़े, अपनी संस्कृति के गूढ़ रहस्यों को समझें। हमारा धर्म कभी नहीं कहता कि अन्धभक्ति करो, हमेशा आंख खोलकर और अपनी बुद्धि विवेक से आप उपनिषधों, वेदान्त आदि का अध्ययन करेंगे तो आपको समझ आएगा कि कोई दूसरा धर्म हम सिखा नहीं सकता, या बहला-फुसला नहीं सकता। हमारी भाषा, हमारी संस्कृति, हमारा धर्म इतना समृद्ध और इतना संपन्न है, हर तरीके से कि जो उसको जानता और समझता है, वो दूसरी जगह पर जा ही नहीं सकता।

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