महाकुंभ नगर, 16 जनवरी (हि.स.)। संगम की धरती पर महाकुंभ का आगाज हो चुका है। महाकुंभ के पहले दिन पौष पूर्णिमा और दूसरे दिन पहले अमृत (शाही) स्नान के लिए नागा साधुओं के संगम स्नान के लिए जाने के बाद उनके गुजरे हुए रास्तों की मिट्टी (चरण रज) इकट्ठा करने के लिए श्रद्धालुओं में होड़ मच गयी। लोग नागा साधुओं के गुजरे हुए रास्तों की मिट्टी उठाने के लिए दौड़ने लगे। गौरतलब है कि 13 जनवरी से शुरू हुआ महाकुंभ 26 फरवरी तक चलेगा। इसमें कुल छह पवित्र स्नान होंगे, जिसमें तीन अमृत स्नान होंगे।
चरण रज के लिए श्रद्धालुओं में मची होड़मकर संक्रांति के दिन संगम में पवित्र डुबकी लगाने वाला पहला अखाड़ा श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी अखाड़ा था। श्री शम्भू पंचायती अटल अखाड़े ने महानिर्वाणी अखाड़े के साथ अमृत स्नान किया। महानिर्वाणी अखाड़ा और अटल अखाड़ा के मंहत, साधु संत और नागा जैसे ही अमृत स्नान के लिये संगम की ओर बढ़े उसके थोड़ी देर बाद ही श्रद्धालुओं में उनके पैर की मिट्टी इकट्ठा करने के लिए होड़ मच गया। लोग नागा साधुओं के ने जिस भूमि पर पैर रखे वहां की मिट्टी उठाने के लिए श्रद्धालु दौड़ने लगे। श्रद्धालु नागा साधुओं के गुजरे हुए रास्तों के मिट्टी इकट्ठा करके श्रद्धापूर्वक अपने घर ले गये।
चरण रज से घर में आती है संपन्नताशिवकुटी संस्कृति विधालय, प्रयाग के संचालक विष्णु गुूरु ने बताया, आम जनमानस में यह धारणा है कि नागा साधुओं के पैरों की मिट्टी बहुत शुभ होती है। इससे सुख, संपन्नता और उत्तम स्वास्थ्य बना रहता है। श्रद्धालु इस मिट्टी को अपने साथ घर ले जाते हैं। उन्होंने बताया कि, श्रद्धालु इस मिट्टी को अपने घर में मंदिर या किसी पवित्र स्थान पर लाल कपड़े में या किसी धातु पात्र में डालकर रखते हैं।
पवित्र स्नान के महाकुंभ में सोनीपत से आयी आशा देवी ने बताया कि, यह मिट्टी नागा साधुओं के पैर से लगी हुई है। यह मिट्टी बहुत दिव्य हो गई है मैं धन्य हूं कि मुझे इस मिट्टी को इकट्ठा करने का मौका मिला। महाकुंभ में अमृत स्नान करने के लिए आये कानपुर के सोमेश शुक्ल ने बताया कि, ये मिट्टी फलदायी मानी जाती है। इससे घर में संपन्नता बनी रहती है। वहीं वाराणसी से आये आनंद चौबे ने बताया कि, 2019 के कुंभ में मैं आया था, उस समय भी मैं नागा साधुओं की चरण रज ले गया था। इस बार ज्यादा मिट्टी लेकर जा रहा हूं। इसे अपने घर में रखूंगा और अपने इष्ट मित्रों में बाटूंगा। लखनऊ से आये जनेश्वर तिवारी ने बतायाकि, यह मिट्टी बहुत शुभ होती है इसलिये मैं इस घर लेकर जा रहा हूं। प्रयाग वासी मनोज ने कहा कि, 29 जनवरी को दूसरा अमृत स्नान हैं, मैं उस दिन कोशिश करूंगा कि नागा साधुओं की चरण रज इकट्ठा करूंगाा।
महाकुंभ में तीन अमृत स्नानमहाकुंभ के दौरान कुल छह स्नान आयोजित होंगे, जिनमें से तीन स्नान अमृत (शाही) स्नान होंगे, जिन्हें अखाड़े विशेष रूप से करते हैं। पहले अमृत स्नान का आयोजन मकर संक्रांति के दिन 14 जनवरी को होगा, दूसरा मौनी अमावस्या पर 29 जनवरी को और तीसरा वसंत पंचमी के दिन 3 फरवरी को होगा।