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सूर्य हुए उत्तरायण, मकर संक्रांति को स्नान और दान का बड़ा महत्व

महाकुम्भ नगर, 14 जनवरी (हि.स.)। मकर संक्रांति फसल के मौसम की शुरुआत और सूर्य के मकर राशि में गोचर का प्रतीक है। इस दिन से सूर्य उत्‍तरायण हो जाते हैं और सर्दी घटना आरंभ हो जाती है। मकर संक्रांति के बाद दिन बड़े होने लगते हैं और उत्तरायण की यह अवधि लगभग छह महीने तक रहती है। यह संक्रांति साल में पड़ने वाली सभी 12 संक्रांतियों में से सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है। मकर संक्रांति को हिंदू धर्म में दान पुण्‍य के कार्य के लिए सबसे महत्‍वपूर्ण तिथि माना जाता है। इस दिन दान करने का महत्‍व धर्म शास्‍त्रों में सबसे खास माना गया है।

मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जा रही है। इस दिन खरमास समाप्‍त हो जाता है और सभी शुभ कार्य फिर से आरंभ हो जाते हैं। इस दिन सूर्य राशि परिवर्तन करके पुत्र शनि की राशि मकर में प्रवेश करते हैं। धार्मिक दृष्टि से यह दिन स्‍नान और दान पुण्‍य के कार्य के लिए सबसे शुभ माना जाता है। आइए जानते मकर संक्रांति पर स्‍नान और दान का मूहूर्त कब से कब तक है। साथ ही जानते हैं इस दिन दान पुण्‍य करने का क्‍या महत्‍व है।

शुभ मुर्हूत में स्नान दानसूर्य के मकर राशि में प्रवेश का समय सुबह 8 बजकर 55 मिनट है। इस समय को मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त माना जाता है। इस समय स्नान और दान करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। पुण्यकाल सुबह 8 बजकर 55 मिनट से दोपहर 12 बजकर 51 मिनट तक रहेगा, जिसमें स्नान-दान कर सकते हैं। महापुण्य काल सुबह 8 बजकर 55 मिनट से 9 बजकर 29 मिनट तक का है। इस दौरान अमृत काल भी है, जो इसे और भी शुभ बनाता है। ब्रह्म मुहूर्त सुबह 5 बजकर 27 मिनट से 6 बजकर 21 मिनट तक रहेगा। यह समय भी पूजा-पाठ और ध्यान के लिए उत्तम माना जाता है। अमृत काल सुबह 7 बजकर 55 मिनट से 9 बजकर 29 मिनट तक रहेगा।

दान का बड़ी महत्तामकर संक्रांति पर स्‍नान और दान का महत्‍व मकर संक्रांति पर दान का बड़ा महत्व है। इस दिन कंबल, गर्म कपड़े, दरी, जूते, टोपी, तिल, गुड़, खिचड़ी और घी जैसी चीज़ें दान करने से पुण्य मिलता है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन गंगा स्नान और दान से आपके वर्तमान और भविष्य दोनों अच्छे होते हैं। यह दान 10 अश्वमेघ यज्ञ और 1000 गायों के दान के बराबर फल देता है। ऐसा माना जाता है कि इससे जीवन में सफलता और सुख-शांति मिलती है। साथ ही, कुंडली में ग्रह-नक्षत्रों का शुभ प्रभाव भी बढ़ता है। यह दान कितना महत्वपूर्ण है। इससे न केवल पुण्य मिलता है, बल्कि जीवन में सफलता और खुशहाली भी आती है।

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