मध्य प्रदेश के इंदौर जिले के गौतमपुरा में मंगलवार देर रात वार्षिक हिंगोट युद्ध परंपरा का आयोजन हुआ। दिवाली के दूसरे दिन मनाया जाने वाला यह उत्सव आग, रोमांच और श्रद्धा का मिश्रण लेकर आता है।
इस दौरान गौतमपुरा का तुर्रा दल और रूणजी गांव का कलंगी दल हिंगोटों (बारूद भरे फल) की बरसात करते हुए मुकाबला करते हैं। आग की लपटों और ढोल की तालों के बीच यह युद्ध करीब डेढ़ घंटे तक चला। ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर वंदना केसरी ने बताया कि 44 लोग घायल हुए, जिनमें 5 को देपालपुर और 4 को महावीर अस्पताल में भर्ती कराया गया।
इतिहास के पन्नों के अनुसार यह परंपरा लगभग 250 साल पुरानी है। तब स्थानीय ग्रामीणों ने मुगलों से रक्षा के लिए सूखे फल में बारूद भरकर इसे युद्ध में इस्तेमाल किया। अब यह आयोजन आस्था, साहस और सामूहिकता का प्रतीक बन चुका है।
सुरक्षा के दृष्टिकोण से प्रशासन ने 200 से अधिक पुलिसकर्मी, एंबुलेंस और फायर ब्रिगेड तैनात किए। आयोजन स्थल पर 15 फीट ऊंचे बैरिकेड लगाए गए। स्थानीय बुजुर्ग बताते हैं कि यह परंपरा वैर नहीं, बल्कि भाईचारे और वीरता का उत्सव है।
गौतमपुरा में हिंगोट युद्ध अब सिर्फ धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि क्षेत्र की सांस्कृतिक पहचान बन चुका है। आयोजन से स्थानीय व्यापार और पर्यटन को भी मजबूती मिलती है।