जयपुर, 7 फ़रवरी (हि.स.)। नगर निगम हेरिटेज की निलंबित मेयर मुनेश गुर्जर ने अपने तीसरी बार के निलंबन को भी हाईकोर्ट में चुनौती दे दी है। इससे पहले दो बार मुनेश गुर्जर को हाई कोर्ट से राहत मिल चुकी है। दोनों बार सरकार के निलंबन आदेश को हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया था, लेकिन इस बार मुनेश गुर्जर ने अपने निलंबन आदेश को करीब साढे चार महीने बाद चुनौती दी है। जस्टिस महेंद्र गोयल की अदालत में सरकार ने जवाब देने के लिए समय मांगा। जिस पर कोर्ट ने सुनवाई 14 फरवरी तक टाल दी। मुनेश ने अपनी याचिका में कहा कि उसे निलंबित करने से पहले सुनवाई का मौका नहीं दिया गया। वहीं निलंबन की पूरी प्रक्रिया में नेचुरल जस्टिस (प्राकृत न्याय) के सिद्धांत की भी पालना नहीं की गई है।
मुनेश की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक मेहता ने बताया कि मुनेश गुर्जर के मामले में राज्य सरकार ने दो-दो जांच अधिकारी नियुक्त कर दिए। एक जांच अधिकारी का कोई भी लैटर हमें प्राप्त नहीं हुआ। दूसरे जांच अधिकारी का जो लैटर मिला। उस पर कोई साइन नहीं थे। सुनवाई के लिए हमें जो तारीख दी गई, उस दिन सार्वजनिक अवकाश था। जब हमने अपनी तरफ से स्थिति को स्पष्ट करने के लिए एलएसजी को लैटर लिखा तो उसके अगले दिन ही हमें निलंबित कर दिया गया। इस पूरी प्रक्रिया में हमें किसी भी तरह की सुनवाई का मौका नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि यह जल्दबाजी में और राजनीति से प्रेरित निर्णय है।
13 महीने के कार्यकाल में तीन बार निलम्बन
मेयर मुनेश गुर्जर का कार्यकाल करीब 13 माह का रहा। इस 13 माह के कार्यकाल में राज्य सरकार ने उन्हें तीन बार निलंबित किया। पहली बार तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने 5 अगस्त 2023 और 22 सितंबर 2023 को उन्हें निलंबित किया था। हालांकि इन दोनों निलंबन आदेशों को राजस्थान हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया था। इसके बाद वर्तमान सरकार ने उन्हें 23 सितंबर 2024 निलंबित कर दिया।