न्यायिक आयोग के सामने दिया दो घंटे का बयान
नेपाल के पूर्व गृहमंत्री रमेश लेखक ने ज़ेन-जी आंदोलन के दौरान गोली चलाने के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। उन्होंने 8 और 9 सितंबर की घटनाओं को लेकर उच्चस्तरीय न्यायिक जांच आयोग के समक्ष लगभग दो घंटे तक बयान दिया और छह पन्नों का लिखित विवरण भी सौंपा।
यह आयोग नेपाली सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश गौरी बहादुर कार्की की अध्यक्षता में गठित किया गया है।
“किसी मंत्री को गोली चलाने का अधिकार नहीं”
रमेश लेखक ने स्पष्ट कहा कि नेपाल के संविधान और कानून के तहत किसी भी मंत्री — चाहे वह प्रधानमंत्री हो या गृहमंत्री — को गोली चलाने या नागरिकों पर बल प्रयोग का आदेश देने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है।
उन्होंने कहा,
“न तो मैंने और न ही तत्कालीन प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने फायरिंग का कोई मौखिक या लिखित आदेश दिया।”
हिंसा को बताया सुनियोजित साजिश
लेखक ने आरोप लगाया कि ज़ेन-जी आंदोलन में घुसपैठ कर योजनाबद्ध हिंसा फैलाई गई।
उन्होंने कहा कि आंदोलन खत्म होने की घोषणा के बाद भी नेताओं के घरों, सरकारी दफ्तरों और सार्वजनिक संपत्तियों पर हमले किए गए।
उनके अनुसार 9 सितंबर को विशेष रूप से कुछ नेताओं के घरों को निशाना बनाया गया और आगजनी व लूटपाट की गई।
इस्तीफा देकर ली नैतिक जिम्मेदारी
पूर्व गृहमंत्री ने कहा कि भले ही उन्होंने कोई गलत आदेश न दिया हो, लेकिन एक जिम्मेदार नेता के रूप में उन्होंने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दिया।
आंदोलन में घुसपैठ का दावा
उन्होंने कहा कि 8 सितंबर को मैतीघर से न्यू बानेश्वर पहुंचते ही आंदोलन में बाहरी तत्वों की घुसपैठ शुरू हुई और इसका मकसद शांति भंग करना था।




