प्लास्टिक प्रदूषण निगरानी और प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन ने प्रोफेसर डॉ. कृपा राम को टीम में शामिल किया
वाराणसी, 28 नवंबर (हि.स.)। गंगा नदी में बढ़ते प्लास्टिक प्रदूषण की चुनौतियों का वैज्ञानिक समाधान तैयार करने के लिए जल शक्ति मंत्रालय के राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) ने एक उच्चस्तरीय विशेषज्ञ समिति गठित की है। इस समिति में काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के रसायन विज्ञान विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. कृपा राम को सदस्य के रूप में शामिल किया गया है।
एनएमसीजी के निदेशक राहुल द्विवेदी द्वारा जारी आदेश के अनुसार, यह टीम देश भर के उन प्रमुख वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को शामिल करती है जो नदियों और जलीय पारितंत्र में माइक्रोप्लास्टिक पर शोध कर रहे हैं। कश्मीर विश्वविद्यालय के पृथ्वी विज्ञान विभाग के प्रोफेसर गुलाम जिलानी टीम के संयोजक बनाए गए हैं।
टीम में देशभर के प्रमुख विशेषज्ञ शामिल
विशेषज्ञ समिति में शामिल अन्य सदस्य—
- डॉ. बी.के. दास, निदेशक, आईसीएआर-सीआईएफआरआई, कोलकाता
- डॉ. महुआ साहा, राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान, गोवा
- प्रो. अभयानंद सिंह मौर्य, आईआईटी रुड़की
- रमन कांत, भारतीय नदी परिषद
- रूबी राजू और डॉ. सहजप्रीत कौर गरेवाल, एनएमसीजी
बीएचयू जनसंपर्क कार्यालय के अनुसार, यह समिति एनएमसीजी के नदी बेसिन प्रबंधन (आरबीएम) प्रकोष्ठ के अंतर्गत कार्य करेगी।
क्या होगा समिति का काम?
समिति का मुख्य उद्देश्य गंगा नदी बेसिन में प्लास्टिक प्रदूषण की रोकथाम, निगरानी और प्रबंधन के लिए विज्ञान-आधारित रणनीतियाँ तैयार करना है। इसके तहत टीम—
- प्रदूषण हॉटस्पॉट की पहचान
- प्लास्टिक के परिवहन मार्गों का विश्लेषण
- निगरानी तंत्र विकसित करना
- मंत्रालय को प्लास्टिक प्रदूषण कम करने के उपाय सुझाना
- डीपीआर, शोध परियोजनाओं और तकनीकी प्रस्तावों की समीक्षा
- राज्य मिशन, नगर निकायों और संबंधित मंत्रालयों के साथ समन्वय
जैसे महत्वपूर्ण कार्य करेगी।
यह नियुक्ति न केवल बीएचयू के लिए गौरव की बात है, बल्कि गंगा संरक्षण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम भी मानी जा रही है।




