तेहरान, 13 दिसंबर (हि.स.)। ईरान में मानवाधिकारों की स्थिति पर एक बार फिर सवाल खड़े हो गए हैं। नोबेल शांति पुरस्कार 2023 से सम्मानित मानवाधिकार कार्यकर्ता नरगिस मोहम्मदी को शुक्रवार को दोबारा गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें ईरान के दूसरे सबसे बड़े शहर मशहद में एक शोकसभा के दौरान हिरासत में लिया गया।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, नरगिस मोहम्मदी मानवाधिकारों के चर्चित दिवंगत वकील खुसरो अलीकोर्डी की शोकसभा में शामिल थीं। इस दौरान वे हिजाब के बिना भीड़ को संबोधित कर रही थीं, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। कार्यक्रम के दौरान नारेबाजी भी हुई, जिसके बाद सुरक्षा बलों ने उन्हें अन्य कार्यकर्ताओं के साथ हिरासत में ले लिया।
ईरान इंटरनेशनल की रिपोर्ट के मुताबिक मशहद के गवर्नर हसन हुसैनी ने दावा किया कि भीड़ के बेकाबू होने और संभावित टकराव की आशंका के चलते “सुरक्षा कारणों” से यह गिरफ्तारी की गई। हालांकि, मानवाधिकार संगठनों ने इस दावे पर सवाल उठाए हैं।
पिटाई और गुप्त हिरासत का आरोप
मृत वकील के भाई जावद अलीकोर्डी ने एक ऑडियो संदेश में आरोप लगाया है कि सुरक्षा बलों ने नरगिस मोहम्मदी को गिरफ्तार करने से पहले उनके साथ मारपीट की। उनका कहना है कि सभी गिरफ्तार लोगों को ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड्स की खुफिया इकाई से जुड़े हिरासत केंद्र में ले जाया गया है।
नोबेल समिति की तीखी प्रतिक्रिया
नॉर्वे की नोबेल समिति ने इस गिरफ्तारी की कड़ी निंदा करते हुए ईरान सरकार से नरगिस मोहम्मदी की सुरक्षा सुनिश्चित करने और बिना शर्त रिहाई की मांग की है।
लंबा संघर्ष और जेल जीवन
53 वर्षीय नरगिस मोहम्मदी अब तक 36 साल तक ईरान की जेलों में समय बिता चुकी हैं। वे फिलहाल 13 साल 9 महीने की सजा के मामले में मेडिकल ग्राउंड पर अस्थायी रिहाई पर थीं। उन पर “देश के खिलाफ साजिश” और “सरकार विरोधी प्रचार” के आरोप हैं।
उन्होंने वर्ष 2022 में महसा अमिनी की मौत के बाद शुरू हुए राष्ट्रव्यापी महिला आंदोलन का खुलकर समर्थन किया था, जिसमें हिजाब विरोध प्रमुख मुद्दा बना था।




