ऑपरेशन सिंदूर और उसे अंजाम देने वाली भारतीय सेना ने देश के प्रत्येक नागरिक का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार की इस कार्रवाई ने इसे ऐसे मुकाम तक पहुंचा दिया है कि भविष्य में पाकिस्तान और वहां बैठे आतंकी भारत पर हमला करना तो दूर उसकी ओर आंख उठा कर देखने का दुस्साहस भी ना कर सकेंगे। भारत सरकार ने शत्रु देश का काफी नुकसान करने के बावजूद अपनी सैन्य कार्रवाई को औपचारिक रूप से युद्ध का नाम नहीं दिया। बावजूद इसके हमारी सीमाओं के आसपास पड़ोसी देश के ड्रोन देखे गए। मिसाइलें गिराने की कोशिशें हुईं। जवाबी कार्रवाई में भारतीय सेना ने पाकिस्तान के सैन्य संसाधनों को हवा में ही नष्ट किया और शत्रु देश के अनेक एयरबेस उड़ाने में सफल रही। पाकिस्तान में संचालित आतंकियों के अनेक प्रशिक्षण केंद्रों को ध्वस्त किया गया। इस कार्रवाई में 100 से अधिक ऐसे आतंकवादी मारे गए, जो भारत सहित दुनिया की अनेक आतंकवादी घटनाओं में शामिल थे या फिर अनगिनत आतंकवादी घटनाओं के रणनीतिकार रहे।
भारत की जवाबी कार्रवाई में अनेक ऐसे लोग भी मारे गए जो पाकिस्तान सरकार और वहां की खुफिया एजेंसी आईएसआई के इशारे पर आतंकवाद की फैक्टरी चला रहे थे। भारतीय सेना की आक्रमकता को देखते हुए तत् समय ही यह स्पष्ट हो गया था कि परिस्थितियां औपचारिक युद्ध के मार्ग पर कदम आगे बढ़ा चुकी हैं। इसी से भयाक्रांत पाकिस्तान के हुक्मरान अमेरिकी दरबार में ढोक लगाने को मजबूर हुए। इसके बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दोनों देशों के बीच स्वस्फूर्त मध्यस्थता करने के लिए प्रयासरत दिखाई दिए। हालांकि प्रधानमंत्री मोदी और तीनों सेनाओं के भारतीय प्रमुखों ने तत्काल यह स्पष्ट कर दिया कि यह विशुद्ध दो देशों के बीच का मामला है, इसमें भारत को किसी तीसरे देश की मध्यस्थता कतई स्वीकार नहीं।
यह बात भी स्पष्ट हो चुकी है कि पाकिस्तान के शीर्ष सैन्य अधिकारी और वहां के हुक्मरान भारत से सीज फायर की गुहार लगा चुके हैं। इसे भारत का बड़प्पन ही कहा जाएगा कि उसने पाकिस्तान की गिड़गिड़ाहट को नजरअंदाज नहीं किया। लेकिन हमारी सरकार और सेना ने इस बीच एहतियाती इंतजाम ढीले नहीं किए । यह बात साफ है कि पाकिस्तान अस्तित्व में आने के बाद से ही भरोसेमंद देश नहीं रहा है। इस बार भी उसने गैर भरोसेमंद काम ही किया। एक ओर वह अमेरिका को माध्यम बनाकर भारत सरकार की बारगाह में सैन्य कार्रवाई रोकने की गुहार लगाता रहा, तो दूसरी ओर उसने भारतीय सीमा के भीतर सशस्त्र ड्रोन भेजने की हिमाकत की।
अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों का मानना है कि शांति की गुहार लगाकर भारतीय सीमाओं में ड्रोन भेजने की स्थिति पाकिस्तान की सेना और वहां की चुनी हुई सरकार के बीच उठापटक मचने के चलते बनी होगी। पाकिस्तान का इतिहास रहा है, वहां के हुक्मरान अवाम की चिंता किए बगैर खुद की सलामती सुनिश्चित करने और अपना राजनीतिक उल्लू साधने में संलग्न रहते हैं। पाकिस्तान की सेना हमेशा इस ताक में रहती है कि कब सरकार गलती करे और कब उसका तख्ता पलट कर पाकिस्तान में सैन्य शासन स्थापित किया जाए। खैर, यह उनका अंदरूनी मामला है। हमारी सेना ने उन सभी ड्रोन को या तो हवा में ही नष्ट कर दिया या फिर उन्हें निष्क्रिय करके वापस पाकिस्तान की ओर भागने को मजबूर किया। यानी एक बार फिर सिद्ध हुआ कि पाकिस्तान कहता कुछ और करता कुछ है।
जहां तक भारत से मुकाबले की बात है तो पाकिस्तान ने हमेशा मुंह की ही खाई है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में लगातार आगे बढ़ रहे नए भारत की बात की जाए तो इसी कालखंड में सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक के माध्यम से पाकिस्तान की अकल ठिकाने लगाई जा चुकी है। अब जब एक बार फिर पाकिस्तान ने अपनी नापाक हरकतों से जम्मू-कश्मीर की भूमि को रक्तरंजित किया, तो भारत का कोप उस पर कुछ ज्यादा ही भारी पड़ गया। इसी के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दुश्मन की नापाक हरकतों को ठीक तरह से एक्सपोज किया गया। आसमान से मिसाइलों और सैन्य गतिविधियों की गड़गड़ाहट भले ही शांत पड़ गई हो, फिर भी प्रत्येक भारतीय नागरिक का कर्तव्य है कि वह स्वयं को इन परिस्थितियों से जोड़कर बनाए रखे। ठीक उसी तरह, जैसे भारतीय जनता पार्टी के लाखों पदाधिकारी और कार्यकर्ता गण जनता के बीच पहुंचकर उन्हें पाकिस्तान पर की गई सैन्य कार्रवाई की उपलब्धियों से अवगत कराने जनता के बीच पहुंच रहे हैं।
एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते हमें और सजग रहना होगा, क्योंकि भारत समेत किसी भी देश में ऐसे तत्वों की उपस्थिति बनी रहती है जो हमारे बीच रहकर सुरक्षा संबंधी सूचनाओं को दुश्मन देश को भेजने का काम कर सकते हैं अथवा जाति संप्रदाय और समाज के नाम पर तनाव उत्पन्न करने के षडयंत्रों में लगे रहते हैं। सोशल मीडिया को ढाल बनाकर गलत अफवाहें फैलाना आज के युग में सबसे बड़ा खतरा बना हुआ है। इसलिए ऐसे तत्वों पर नजर रखनी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। इस बारे में पुलिस अथवा प्रशासन को तत्काल इत्तिला करना हमारा कर्तव्य होता है और दायित्व भी।
हमारी मिसाइलों ने पाकिस्तान के परमाणु ठिकानों के इर्द-गिर्द भी अपनी धमक पहुंचा कर यह बता दिया है कि भविष्य में किसी प्रकार की हिमाकत हुई तो वहां ऐसी कोई जगह शेष है ही नहीं होगी, जहां हमारे सैन्य आयुधों की पहुंच न हो सके। प्रधानमंत्री देश के नाम संबोधन में यह स्पष्ट कर दिया है कि अब यदि पाकिस्तान के साथ कोई बात होगी तो वह केवल पीओके और आतंकवाद के बारे में ही होगी। जिंदा बचे रह गए उन आतंकवादियों के बारे में होगी, जिन्हें वहां की सरकार और सेना ने अपने दागदार दामन में छुपा रखा है। उन्होंने ताकीद किया कि अब खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते । टेरर के साथ ट्रेड और टॉक को भी एक साथ नहीं चलाया जा सकता। गाहे ब गाहे परमाणु बम चलाने की दी जाने वाली धमकियों पर अब कोई गौर नहीं होगा और ना ही भविष्य में न्यूक्लियर ब्लैकमेलिंग सहन की जाएगी। केवल सैनिक कार्रवाई स्थगित हुई है, पाकिस्तान पर लागू शेष बंदिशें यथावत जारी रहेंगी।
जहां तक ऑपरेशन सिंदूर की बात है तो खुद भारत सरकार और सेना स्पष्ट कर चुकी है कि यह खत्म नहीं हुआ है । अभी इसे केवल स्थगित किया गया है, यह देखने के लिए कि जान माल का भारी नुकसान उठाने के बाद भी पाकिस्तान की अकल ठिकाने आ गई है अथवा नहीं। जहां तक युद्ध के साथ बुद्ध को भी प्राथमिकता में बनाए रखने की बात है तो भारत एक जिम्मेदार देश है। पूरा विश्व भारत और भारतीय प्रधानमंत्री मोदी से काफी उम्मीद लगाए हुए है। अभी हम विश्व की पांच मुख्य अर्थ व्यवस्थाओं में से एक हैं। जल्दी ही दुनिया की तीन प्रमुख अर्थ व्यवस्थाओं में से एक का तमगा हासिल करना हमारा आगामी लक्ष्य है। विकास की इस गति ने चीन और पाकिस्तान जैसे हमारे शत्रु देशों को हलकान कर रखा है। यह दोनों कतई नहीं चाहेंगे कि भारत इसी प्रकार शांत रहते हुए विश्व स्तर पर अपनी धमक और अधिक मजबूत बना सके। संभव है पहलगाम में जो नापाक हरकत की गई, वह इसी षड्यंत्र का एक प्रमुख हिस्सा हो।




