मुकुंद
प्रयागराज में 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा से महाकुंभ की शुरुआत हो रही है। 14 जनवरी को मकर संक्रांति का दूसरा स्नान है। इसे शाही स्नान और अमृत स्नान भी कहते हैं। संगम के मेला क्षेत्र में महाकुंभ नगर सज-धजकर तैयार है। दुनियाभर से पहुंचने वाले लाखों-करोड़ों तीर्थयात्रियों को संचार संपर्क में असुविधा न हो, इसके लिए केंद्रीय दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने व्यापक इंतजाम किए हैं। डीओटी ने संपूर्ण मेला क्षेत्र, प्रयागराज शहर और उत्तर प्रदेश के प्रमुख सार्वजनिक स्थानों में दूरसंचार के बुनियादी ढांचे को अपग्रेड किया है। भारत सरकार के पत्र एवं सूचना कार्यालय (पीआईबी) की वेबसाइट में उपलब्ध ब्यौरे के अनुसार, प्रयागराज शहरी क्षेत्र में 126 किलोमीटर ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाया गया है। इसके अलावा 328 नए टावर स्थापित किए गए हैं। मजबूत और निर्बाध कनेक्टिविटी के लिए 1,462 मौजूदा बीटीएस इकाइयों का उन्नयन किया गया है। इसके अलावा 575 नए बेस ट्रांसीवर स्टेशन बनाए गए हैं।
यही नहीं अकेले मेला क्षेत्र में हाईस्पीड विश्वसनीय नेटवर्क कवरेज प्रदान करने के लिए 192 किलोमीटर ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाई गई है। 78 सीओडब्ल्यू (ट्रांसपोर्टेबल टावर) से मेला क्षेत्र को कवर किया गया है। यह सुनिश्चित किया गया है कि रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन और हवाई अड्डों में दूरसंचार सेवा हर हाल में पूरी क्षमता से काम करे। प्रयागराज जनपद के सभी महत्वपूर्ण मार्गों पर भी ऐसी ही व्यवस्था की गई है। मेला क्षेत्र में 53 हेल्प डेस्क स्थापित किए गए हैं। यह डेस्क संदिग्ध धोखाधड़ी, खोए या चोरी हुए मोबाइल फोन को ब्लॉक करने जैसी सेवा प्रदान करेंगे। मेला अवधि के दौरान आपातकालीन अलर्ट, आपदा चेतावनी और सामान्य सार्वजनिक जागरुकता संदेश भेजने के लिए सेल ब्रॉडकास्ट अलर्ट सुविधा और कॉमन अलर्टिंग प्रोटोकॉल (सीएपी) एकीकृत प्लेटफार्म की व्यवस्था की गई है। चारों दूरसंचार सेवा प्रदाता यानी एयरटेल, बीएसएनएल, जियो और वीआई संचालित तीन आपदा प्रबंधन केंद्र भी बनाए गए हैं। मेला क्षेत्र में स्थापित इन केंद्रों को प्राकृतिक या मानव निर्मित आपदा की स्थिति में महत्वपूर्ण संचार चैनल प्रदान करने के लिए नवीनतम तकनीक से लैस किया गया है।
महाकुंभ ऐसी महत्वपूर्ण तीर्थयात्रा है जो दुनियाभर से करोड़ों लोगों को प्रयागराज की ओर आकर्षित करती है। यह आयोजन हर 12 साल में होता है। वर्ष 2025 का महाकुंभ मेला इतिहास के सबसे बड़े समारोहों में से एक होने की उम्मीद है। इसकी सफलता के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने भी अभूतपूर्व काम किया है। योगी सरकार ने महज चार माह में बेहतरीन सुविधाओं वाला दिव्य और भव्य शहर (महाकुंभ नगर) बसा दिया है। सड़कों का जाल बिछाया गया है। इनकी कुल लंबाई 300 किलोमीटर है। एक किलोमीटर लंबाई के 30 फ्लोटिंग पुल भी बांधे गए हैं। पेयजल और सीवेज जैसी सुविधाएं जुटाई गई हैं। समृद्ध तीर्थयात्रियों के लिए फाइव स्टार डोम और जरूरतमंदों के लिए डॉरमेटरी की सुविधा का ख्याल रखा गया है। महाकुंभ नगर में आंखों का अस्पताल भी होगा। मेला प्रशासन का कहना है कि यह दुनिया का अब तक का सबसे बड़ा अस्थायी अस्पताल होगा। यहां 45 दिन में पांच लाख मोतियाबिंद के ऑपरेशन करने का लक्ष्य तय किया गया है।
प्रयाग हिंदुओं के लिए सदियों से महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। परंपरागत तौर पर नदियों का मिलन बेहद पवित्र माना जाता है, लेकिन संगम पर यह मिलन बेहद अहम माना गया है। यहां गंगा, यमुना और सरस्वती का अद्भुत मिलन होता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विष्णु अमृत से भरा कुंभ (बर्तन) लेकर जा रहे थे। असुरों से छीना-झपटी में अमृत की चार बूंदें छलक कर गिर गईं। यह बूंदें प्रयाग, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन रूपी तीर्थस्थानों में गिरीं। तीर्थ वह स्थान होते हैं जहां भक्तों को इस नश्वर संसार से मोक्ष की प्राप्ति होती है। ऐसे में जहां-जहां अमृत की बूंदें गिरीं वहां तीन-तीन साल के अंतराल पर बारी-बारी से कुंभ मेले का आयोजन होता है। इन तीर्थों में भी संगम को तीर्थराज के नाम से जाना जाता है। संगम में हर 12 साल पर महाकुंभ का आयोजन होता है।
प्रयागराज में संगम वह स्थान है जहां गंगा का मटमैला पानी यमुना के हरे पानी में मिलता है। यहीं मिलती है अदृश्य मानी जाने वाली सरस्वती नदी। वैसे तो यह अदृश्य नदी है पर माना जाता है कि वह भू-गर्भ में बहती है । संगम को अकबर के किले के परकोटे से भी देखा जा सकता है। पवित्र संगम पर दूर-दूर तक पानी और गीली मिट्टी के तट फैले हैं। धर्मपरायण हिंदू के लिए संगम में एक डुबकी जीवन को पवित्र करने वाली मानी जाती है। कुंभ और महाकुंभ पर संगम जीवंत हो उठता है।