राजस्थान हाईकोर्ट ने मंगलवार को आरटीई प्रवेश विवाद को लेकर अहम सुनवाई पूरी कर ली। यह मामला शिक्षा का अधिकार (Right to Education) कानून के तहत निजी स्कूलों में प्रवेश और फीस पुनर्भुगतान से जुड़ा है। कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद कहा कि फैसला बाद में सुनाया जाएगा।
जनहित याचिकाओं पर हुई विस्तृत बहस
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा और न्यायाधीश बलजिंदर सिंह संधू की खंडपीठ ने अभ्युत्थानम सोसायटी और स्माइल फॉर ऑल सोसायटी की जनहित याचिकाओं पर सुनवाई की। इन याचिकाओं में कहा गया कि कई निजी स्कूलों में पूर्व-प्राथमिक कक्षाएं होती हैं, जिससे आरटीई के तहत पहली कक्षा में प्रवेश का अवसर नहीं मिलता।
निजी स्कूलों और सरकार की दलीलें
निजी स्कूलों की ओर से तर्क दिया गया कि दो स्तरों पर प्रवेश संभव नहीं है और एक ही कक्षा में प्रवेश की अनुमति होनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने 2009 से अब तक फीस पुनर्भुगतान के स्पष्ट नियम नहीं बनाए हैं।
राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता सुरेन्द्र सिंह नरूका ने कहा कि यदि प्री-प्राइमरी और पहली कक्षा दोनों में प्रवेश हो तो प्री-प्राइमरी प्रवेशों के लिए केंद्र से निर्धारित फीस पुनर्भुगतान राशि राज्य को मिलनी चाहिए।
केंद्र सरकार का पक्ष
केंद्र सरकार ने अपने जवाब में कहा कि आरटीई के तहत प्रवेश व्यवस्था और फीस भुगतान की जिम्मेदारी राज्यों की है।
अब फैसले का इंतजार
आरटीई प्रवेश विवाद पर हाईकोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुन ली हैं। अब सभी की नजरें अदालत के फैसले पर टिकी हैं, जो प्रदेश के निजी स्कूलों में आरटीई प्रवेश प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है।




