-हिंसा के दौरान जो फोटो लिए गए, उसके आधार पर आरोपितों की पहचान की गई-पथराव के साथ आगजनी और तोड़फोड़ में शामिल थे सभी आराेपित : एसपी संभल
संभल, 20 जनवरी (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के संभल जिले में विवादित जामा मस्जिद में 24 नवम्बर 2024 को सर्वे के दौरान तीन स्थानों पर हुई हिंसा में फरार चल रहे 10 और आरोपितों को संभल कोतवाली पुलिस ने अलग-अलग स्थानों से गिरफ्तार किया है। इस मामले में अब तक 72 उपद्रवी पकड़े जा चुके हैं। इन उपद्रवियों ने पत्थरबाजी के अलावा आगजनी और तोड़फोड़ करने के साथ पुलिस पर भी जानलेवा हमला किया था। हिंसा के दौरान पुलिस ने जो फोटो लिए थे, उसके आधार पर इन आरोपितों की पहचान की गई है।
संभल पुलिस अधीक्षक कृष्ण कुमार विश्नोई ने सोमवार को बताया कि गिरफ्तार आरोपितों में कोतवाली क्षेत्र के देहली दरवाजा निवासी मुल्ला अफरोज, तहजीब, अजहर अली, असद, कागजी सराय निवासी दानिश, शुऐब, आलम, मोहल्ला जगत निवासी दानिश, आलम सराय निवासी शानेआलम और कोटगर्वी निवासी बाकिर शामिल हैं। सभी आरोपितों को न्यायालय में पेश किया जाएगा।
एसपी विश्नोई ने बताया कि 24 नवंबर 2024 को संभल में तीन स्थानों पर हिंसा और बवाल हुआ था। पहला बवाल विवादित जामा मस्जिद के नजदीक हुआ था, जहां पांच लोगों की जान गई थी। दूसरा बवाल नखासा तिराहे पर हुआ था, जहां पुलिस पर पथराव और फायरिंग की गई थी। इसके बाद तीसरी हिंसा हिंदूपुरा खेड़ा में हुई था, जहां पुलिस के अधिकारियों पर जानलेवा हमला किया गया था। इन्हीं तीनों स्थानों पर पुलिस-प्रशासन की ओर से वीडियो बनाया गया था और फोटो भी लिए थे।
वीडियो और फोटो के आधार पर अभी तक 450 आरोपितों के चेहरे पहचाने गए हैं। उनकी पहचान के लिए टीमें जुटी हुई हैं, जिससे उनकी भी गिरफ्तारी की जा सके। उपद्रवियों ने पूछताछ में स्वीकार किया है कि वह पत्थरबाजी में शामिल थे। घटना के बाद वह अलग-अलग शहरों में जाकर छिपे थे, जब घर लौटे तो पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया है।
एसपी ने बताया कि प्राथमिक छानबीन में पुलिस को मुल्ला अफरोज के खिलाफ नौ मामले दर्ज मिले हैं। इसमें हत्या, गैरइरादतन हत्या, डकैती, सार्वजनिक संपत्ति क्षति करने जैसे कई गंभीर अपराध में मामले दर्ज हैं। आरोपित के आपराधिक इतिहास को और खंगाला जा रहा है। इस मामले में सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
एसपी ने बताया कि संभल बवाल में गिरफ्तार किए गए मुल्ला अफरोज ने अपने बयान में पुलिस को यह बताया कि 24 नवंबर को दूसरे साथी को शारिक साठा ने एक एप पर कॉल कर कहा था कि नेता भीड़ जमा करा रहे हैं। नेताओं की ओर से पूरा सपोर्ट है और हरी झंडी मिल गई है। इसलिए 10 से 20 पुलिसकर्मी और आम लोगों को मार दो। इससे पुलिस प्रशासन डर जाएगा और शासन भी पुलिसकर्मियों के खिलाफ ही कार्रवाई करेगा। फिलहाल मुल्ला अफरोज के बयान में कितनी सच्चाई है पुलिस उसकी तहकीकात कर रही है।