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चैत्र डाला छठ पूजा : श्रद्धालुओं ने गंगा तट पर सूर्योपासना कर प्रकृति व पर्यावरण संरक्षण का आह्वान

वाराणसी, 04 अप्रैल (हि.स.)। भगवान भाष्कर और छठी मैया को समर्पित प्रकृति के साथ संतुलन साधने के महापर्व चैती डाला छठ पर शुक्रवार को गंगा तट पर श्रद्धालु महिलाओं ने आस्था, श्रद्धा और कृतज्ञता के साथ सूर्यदेव और छठी मैया की पूजा की।

रानी अहिल्याबाई घाट पर श्रद्धालुओं के साथ नमामि गंगे और राम नारायण सेवा संस्थान के सदस्यों ने सूर्य देव की पूजा अर्चना कर पर्यावरण संरक्षण और प्रकृति प्रेम का महत्वपूर्ण संदेश दिया। इस दौरान नमामि गंगे काशी क्षेत्र के संयोजक राजेश शुक्ला ने कहा कि यह पर्व प्रकृति की उपासना का प्रतीक है, जो हमें जल स्रोतों, जैव विविधता के संरक्षण और कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहित करने की प्रेरणा देता है।

चैती सूर्यषष्ठी लोकपर्व के इस अवसर पर सूर्य देव, छठ माता और मां गंगा की आरती उतारकर जनमानस से पर्यावरण के प्रति जागरूकता और जीवन मूल्यों के प्रति आह्वान किया गया। उगते सूरज को अर्ध्य अर्पित कर प्रकृति का सम्मान किया और सामाजिक समरसता का भी संदेश दिया गया।

पूजन के बाद अहिल्याबाई घाट पर स्वच्छता अभियान चलाया गया, जिसमें श्रद्धालुओं ने मिलकर गंगा तट की सफाई की और पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया। राम नारायण सेवा संस्थान के आचार्य वेंकटेश शर्मा ने कहा कि सूर्य षष्ठी (छठ) केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह जीवनशैली और प्रकृति के प्रति श्रद्धा का प्रतीक है। यह पर्व मनुष्य और प्रकृति के बीच के संबंधों को मजबूत करता है।

आचार्य ओंकार महादेव ने कहा कि छठ महापर्व मनुष्य और प्रकृति के एकाकार होने का एक अद्भुत उत्सव है। यह पर्व हमें जीवन की सरलता, पर्यावरण के महत्व और सामाजिक समरसता की याद दिलाता है।

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