मंडी, 17 जून (हि.स.)।
हिमाचल प्रदेश के वरिष्ठ साहित्यकार गंगाराम राजी की नई पुस्तक ‘विश्व की रोमांचकारी घटनाएं’ का विमोचन सोमवार को मंडी ज़िले के पैतृक गांव बग्गी में एक सादे व गरिमामय समारोह में हुआ। यह आयोजन स्वतंत्रता सेनानी संतराम गुप्ता के घर पर आयोजित किया गया, जिसमें स्थानीय लोगों के साथ-साथ मंडी व सुंदरनगर से आए साहित्यकारों और संस्कृति से जुड़ी विभूतियों ने भाग लिया।
इस अवसर पर साहित्यकार गंगाराम राजी ने अपनी पुस्तक को संतराम गुप्ता के मंझले पुत्र स्व. राजेंद्र मोहन गुप्ता की स्मृति को समर्पित किया। समारोह का आयोजन स्व. राजेंद्र मोहन के जन्मदिवस के अवसर पर उनके परिवार द्वारा किया गया।
उपस्थित रहीं साहित्य एवं कला जगत की प्रमुख हस्तियाँ
कार्यक्रम में कवि-आलोचक डॉ. विजय विशाल, कथाकार व उपन्यासकार मुरारी शर्मा, कवयित्री रूपेश्वरी शर्मा, रंगकर्मी व हिमाचल कला, भाषा एवं संस्कृति अकादमी की सदस्य सीमा शर्मा, लोक साहित्यकार कृष्णचंद्र महादेविया, कवयित्री किरण गुलेरिया, रोटेरियन सुरेंद्र मोहन व अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
लेखक ने साझा किए भावुक संस्मरण
गंगाराम राजी ने कहा, “बग्गी मेरी जन्मभूमि है। यहां की मिट्टी, पानी और हवा ने मेरे साहित्य को जीवंत किया है। स्वतंत्रता सेनानी संतराम गुप्ता जी के स्नेह और उनके पुत्रों के साथ बिताया बचपन आज भी मेरी स्मृतियों में जीवित है।” उन्होंने आगे कहा कि अपने बचपन के मित्र स्व. राजेंद्र मोहन को स्मरण करते हुए यह पुस्तक उन्हें समर्पित करना एक भावनात्मक और साहित्यिक कर्तव्य था।
पुस्तक में सन्निहित हैं सत्रह वैश्विक रोमांचकारी घटनाएँ
इस पुस्तक में विश्व की सत्रह अत्यंत रोचक और रहस्यमयी घटनाओं को संकलित किया गया है, जिनमें शामिल हैं:
- बस नंबर 375,
- फ्लाइट नंबर 517,
- डॉन कपूर (1971),
- मन के जीते जीत है…,
- विदआउट आर्म्स… विदआउट हैट… विदआउट वायलेंस,
- पांच करोड़ नोटबंदी के शिकार,
- जैन्नी टी-1911,
- टाइटैनिक का पहला और आखिरी सफर,
- दुनिया के दस सबसे खतरनाक बॉर्डर,
- उड़ान के पांच मिनट बाद,
- टाइम मशीन,
- संसार का सबसे जिंदादिल इंसान,
- अल्बर्ट आइंस्टीन से जुड़े अनकहे किस्से आदि।
साहित्यिक परंपरा और पारिवारिक संबंधों का अद्भुत संगम
कवि-आलोचक डॉ. विजय विशाल ने इस अवसर पर कहा कि यह सराहनीय है कि लेखक ने अपने साहित्यिक योगदान को पारिवारिक स्मृति से जोड़ा है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरक उदाहरण बनेगा। उन्होंने स्व. चंद्रमोहन गुप्ता से अपने पुराने रिश्तों को याद करते हुए गंगाराम राजी के इस भावनात्मक समर्पण को साहित्यिक संवेदना का सुंदर उदाहरण बताया।
निष्कर्ष
गंगाराम राजी की यह कृति न केवल रोचक घटनाओं से पाठकों को जोड़ती है, बल्कि साहित्य, इतिहास और मानवीय भावनाओं का अद्वितीय संगम भी प्रस्तुत करती है। यह पुस्तक रोमांच और स्मृति दोनों का दस्तावेज़ है, जो निश्चित रूप से साहित्यिक समाज में अपनी विशेष पहचान बनाएगी।