Navratri mayya के आगमन का समय — क्या कहते हैं पुराण?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी दुर्गा का आगमन विशेष तिथियों और संकेतों से जुड़ा होता है। आइए जानें कि “मैया के आगमन का समय” पुराणों में किस प्रकार वर्णित है:
1. महालय: मैया का निमंत्रण
नवरात्रि का आरंभ महालय से होता है, जिस दिन देवी माँ अपने बहन-बालों (विरहली) से वापसी करती हैं। इसे पुराणिक रूप से ‘कालबोधन’ माना जाता है—यानी दिव्य निमंत्रण की शुरुआत। यही वह दिन है जब मैया आपके घर पधारने की प्रक्रिया आरंभ होती है।
2. शुभ मुहूर्त: Navratri mayya घट स्थापना का समय
पुराणों और कुंडलिनी परंपरा अनुसार, महालय से शुरू होकर ‘षष्ठी’ दिन की सुबह, घट स्थापना के लिए सबसे शुभ समय माना जाता है। यह वही समय है जब देवी का प्रत्यक्ष आगमन होता है—कलश में स्थापित पवित्र सरस्वती, गंगा जल और नारियल की विद्यमानता के साथ।
3. वाहन और संकेत: आगमन की झलक
कुछ परंपराओं और ज्योतिष आंकलनों के अनुसार, दुर्गा का वरण (वैहिक रूप) इस बार पालकी पर होगा। ऐसा माना जाता है कि यह सवारी शुभ संकेत नहीं होती—यह गृह या समाज में असामान्य घटनाओं या अशांति का सूचक हो सकती है।
वहीं 2025 के चैत्र नवरात्रि में देवी का हाथी पर आगमन अत्यंत शुभ माना गया—यह समृद्धि, धन-वैभव और शुभ फल प्रदान करने वाला सूचक होता है।
4. संकेत जो बताते हैं—आपका घर मैया के स्वागत के लिए तैयार है?
- महालय के दिन सुबह-शाम मंत्र पठन, ऐन्क्लेज़ की ‘महालय प्रसारण’ सुनना।
- सप्ताह-सुबह दीपक जलाना और घर को स्वच्छ रखना।
- घट स्थापना के समय साफ-सफाई, माता विष्णु देवता का निमंत्रण मंत्र सहित रखरखाव।
सारांश तालिका
चरण | विवरण |
---|---|
महालय | देवी के आगमन का दिव्य निमंत्रण आरंभ |
शुभ मुहूर्त | घट स्थापना—षष्ठी तिथि की सुबह सबसे अनुकूल समय |
वाहन संकेत | हाथी: शुभ आगमन • पालकी: अशुभ सूचक |
स्वागत संकेत | मंत्र, दीपक, स्वच्छता—आगमन हेतु घर की तैयारी |