सबकुछ ठीक रहा तो वर्ष 2032 से बाबा केदार के भक्त रोपवे से केदारनाथ धाम पहुंच सकेंगे। 12.9 किमी लंबे रोपवे बनने से केदारनाथ यात्रा में प्रतिवर्ष यात्रियों की संख्या के नये कीर्तिमान भी स्थापित होंगे। यही नहीं, रोपवे निर्माण से पैदल मार्ग पर दबाव भी कम होगा और घोड़ा-खच्चरों का संचालन सुलभ होगा, जिससे किसी पैदल यात्री को कोई दिक्कत नहीं होगी।
11750 फीट की ऊंचाई पर स्थित भगवान आशुतोष के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में एक केदारनाथ यात्रा ने बीते एक दशक में नये आयाम स्थापित किए हैं। 16/17 जून 2013 की आपदा में व्यापक रूप से प्रभावित हुई थी, तब किसी ने भी उम्मीद नहीं की थी कि वर्ष 2015 से केदारनाथ यात्रा पटरी पर लौटने के साथ रफ्तार भी पकड़ लेगी। आंकड़े बयां रहे हैं कि बाबा केदार की यात्रा ने बीते एक दशक में सुरक्षित और सुलभ यात्रा के साथ कारोबार के क्षेत्र में भी नई ऊंचाई हासिल करने का संदेश दिया है। अब, केदारनाथ रोपवे की मंजूरी के बाद यात्रियों के सामने यात्रा का एक और विकल्प उपलब्ध हो जाएगा। अभी तक केदारनाथ जाने के लिए यात्री 16 किमी पैदल दूरी नापने के साथ ही हेलिकॉप्टर, घोड़ा-खच्चर, डंडी-कंडी का उपयोग करते हैं। पूरे यात्राकाल में हेलिकॉप्टर की टिकट के लिए मारामारी रहती है। ऐसे में कई यात्री धाम नहीं पहुंच पाते, पर अब ऐसा नहीं होगा। रोपवे निर्माण के बाद कई बुजुर्ग और शारीरिक रूप से अक्षम यात्री भी सोनप्रयाग से 36 मिनट में केदारनाथ धाम पहुंच सकेंगे।
पूरे यात्राकाल में पहुंच सकेंगे 31 से 37 लाख यात्री
रोपवे निर्माण से एक घंटे में 1800 यात्री केदारनाथ की यात्रा कर सकेंगे और एक दिन में 18000 यात्री धाम पहुंच जाएंगे। अभी तक पचांग गणना के हिसाब से केदारनाथ की यात्रा कम से कम 174 दिन और अधिकतम 206 दिन संचालित होती आई है। ऐसे में तय दिनों के हिसाब से रोपवे से 31 लाख 3200 से लेकर 37 लाख 8 हजार श्रद्धालु केदारनाथ यात्रा पहुंच सकेंगे। साथ ही हेलिकॉप्टर, घोड़ा-खच्चर, डंडी-कंडी और पैदल मार्ग से पहुंचने वाले यात्रियों की संख्या अलग है। इन माध्यमों से अभी बीते तीन वर्षों में प्रतिवर्ष 15 लाख से लेकर 19 लाख तक श्रद्धालु केदारनाथ पहुंच चुके हैं। एक अनुमान के तहत रोपवे बनने के बाद सभी माध्यमों से प्रतिवर्ष 45 से 50 लाख यात्री बाबा केदार के दर्शन कर सकेंगे।
यात्रा नहीं होगी प्रभावित
रोपवे निर्माण के बाद से यात्रा प्रभावित नहीं होगी। 22 टॉवरों के माध्यम से 12.9 किमी रोपवे का संचालन होगा। खास बात यह है कि बारिश, कोहरे में भी यात्रा प्रभावित नहीं होगी। साथ ही भूस्खलन व भूधंसान से संचालन रुकने का खतरा भी नहीं है।