नई दिल्ली, 3 अक्टूबर।
हर साल 4 अक्टूबर को विश्व पशु कल्याण दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य जानवरों के कल्याण और उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। यह दिवस पहली बार 1925 में बर्लिन में मनाया गया और 1931 में इटली के फ्लोरेंस में आयोजित एक सम्मेलन के बाद इसे स्थायी रूप दिया गया। इसे सेंट फ्रांसिस के पर्व के दिन प्रतिवर्ष 4 अक्टूबर को मनाया जाता है।
पशु मानव जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे न केवल हमारे पर्यावरण के संतुलन में योगदान देते हैं, बल्कि कृषि, पशुपालन और दैनिक जीवन में भी हमारी सहायता करते हैं। महात्मा गांधी के अनुसार, किसी राष्ट्र की महानता इस बात से जानी जा सकती है कि वहाँ जानवरों के साथ कैसा व्यवहार किया जाता है।
विश्व पशु कल्याण दिवस ‘जानवरों को बचाओ, ग्रह को बचाओ!’ के इस वर्ष के थीम के साथ मनाया जा रहा है। भारत में पशुधन कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था का अहम हिस्सा है। पशु केवल संसाधन नहीं हैं; वे पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखते हैं, जैसे हाथी जमीन को उपजाऊ बनाते हैं और गैंडे कीचड़ में रहते हुए मिट्टी की अदला-बदली करते हैं।
सभी जीव-जंतु मानव जीवन के पूरक हैं। यदि किसी प्रजाति का विनाश होता है, तो उसका असर पूरी पारिस्थितिकी और मानव स्वास्थ्य पर पड़ता है। विशेषज्ञों के अनुसार, मानव और पशु के बीच संवेदनशील और सहानुभूतिपूर्ण संबंध बनाए रखना आवश्यक है। यह न केवल जानवरों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है, बल्कि हमारी नैतिक और सामाजिक प्रगति का भी प्रतीक है।
विश्व पशु दिवस पर पशु अधिकारों, संरक्षण और उनके कल्याण के लिए जागरूकता फैलाना आवश्यक है। प्रत्येक व्यक्ति को यह समझना होगा कि पशुओं का जीवन हमारे जीवन से कम कीमती नहीं है, और उनका सम्मान एवं सुरक्षा हमारी जिम्मेदारी है।