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महाकुम्भ में स्थापित किसान देवता मंदिर से उठी किसान बोर्ड की मांग

महाकुम्भ नगर, 27 जनवरी (हि.स.)। महाकुम्भ में देवकी नंदन ठाकुर के सनातन बोर्ड की मांग के बाद अब किसान बोर्ड की मांग उठ रही है। विश्व के पहले किसान पीठाधीश्वर किसानाचार्य स्वामी शैलेन्द्र योगिराज सरकार ने यह मांग किया है। महाकुम्भ क्षेत्र के सेक्टर नंबर 15 में मुक्ति मार्ग में सौम्य देवी चौराहे के पास विश्व का पहला किसान्न देवता मंदिर स्थापित किया गया है।

स्वामी शैलेन्द्र योगिराज सरकार ने कहा कि सनातन बोर्ड व वक्फ बोर्ड से लोगों का पेट नहीं भरेगा। कहा कि वह किसान ही है जो संतों के भोजन के लिए फल और फलाहार की वस्तु पैदा करता है और अन्य सभी लोगों के लिए भोजन तथा पूजन की सामग्री पैदा करता है। इसलिए सभी संतों महात्माओं को सबसे पहले अन्नदाता किसान के लिए किसान बोर्ड के गठन की मांग करनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि देश की 70 फीसदी आबादी गांव में बसती है। हमारा देश कृषि प्रधान देश है। भारत गांव में बसता है। भारत की आत्मा प्राण—प्रतिष्ठा यूं कहें तो भारत की जान किसानों में बसती है। देश की आर्थिक समृद्धि और विकास का रास्ता हमारे गांव से होकर गुजरता है। यह भी सच है कि बड़े-बड़े ऋषि मुनि मनीषी विद्वान डॉक्टर इंजीनियर जज और पत्रकार भी किसानों के ही वंशज हैं। अन्नदाता किसान्न देवता देश का भाग्य विधाता है। यह अन्नदाता किसान्न देवता जीव जंतु पशु पक्षी पेड़ पौधों मनुष्यों संत महात्माओं आदि का पेट भरता है। इतना ही नहीं बल्कि देवी देवताओं को चढ़ाने वाले प्रसाद भोजन सामग्री भी किसान ही पैदा करता है। इसलिए किसान बोर्ड का गठन होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि शास्त्रों में कहा गया है अन्नम् ब्रह्म। अन्न ब्रह्म है। अन्न से रस, रस से रक्त, रक्त से मांस,मांस से मेद,मेद से हड्डी, हड्डी से मज्जा, मज्जा से वीर्य। और फिर मैथुनी प्रक्रिया से अब सृष्टि बढ़ रही है। इस अन्न को अन्नदाता किसान पैदा करता है और वह सर्वोपरि है। शास्त्रों में तो यहां तक कहा गया है कि सतयुग में प्राण हड्डियों में रहते थे। त्रेतायुग में प्राण रक्त में रहते थे। द्वापरयुग में प्राण मांस में रहते थे। अब कलयुग में प्राण अन्न में रहते हैं। और अन्न को कौन पैदा करता है अन्नदाता किसान। और अन्न से ही जीवन का अस्तित्व बना रह सकता है। उसके बिना जीवन की कल्पना संभव नहीं है। इस नाते केन्द्र व प्रदेश सरकारों को किसान बोर्ड का गठन करना चाहिए।

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