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अलगाववादी तत्व भारत में शांति समृद्धि के शत्रु

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले से भारत स्तब्ध है। आतंकी हमले की खुले रूप में निंदा करते हुए अनेक देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने आतंकवादी कार्रवाई के विरुद्ध भारत का साथ देने की बातें कही हैं। भारत सरकार ने पाकिस्तान के विरुद्ध कई प्रतिबंधों की भी कार्रवाई की है। दुनिया के सामने पाकिस्तान को बेनकाब करने की कार्रवाइयां हो भी रही है। बर्बर हत्यारे आतंकियों की खोज जारी है।

भारत पर पाकिस्तान प्रायोजित हमले कई दशकों से जारी हैं। पूर्व में जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा था। संविधान में यह उपबंध 370 अलग से था। केंद्र की भाजपानीत राजग सरकार ने लोकसभा में विधेयक लाकर 70 वर्षों की भारी समस्या को कुछ मिनट में ही पिछले वर्ष समाप्त कर दिया था। इसके बाद से जम्मू कश्मीर में शांति की आशा लगातार बलवती हो रही थी। यह बात अलग है कि छिटपुट आतंकी घटनाएं होती रही हैं तो भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्र सरकार के गृहमंत्री और रक्षा मंत्री सहित जिम्मेदार अधिकारियों ने जम्मू कश्मीर में शांति के उपायों पर लगातार प्रयास करते हुए चिंतन मंथन किया।

जम्मू कश्मीर में कई दशकों से रुकी विकास की पुरानी परियोजनाओं और नई बड़ी परियोजनाओं को अंतिम रूप दिए जाने की कार्रवाई जारी है मगर आतंकवादियों और उनके समर्थकों को यह विकास और शांति की कार्यवाही नागवार गुजरी। पाकिस्तान को जम्मू कश्मीर की खुशी कभी पसंद नहीं आई। पाकिस्तान की पृष्ठभूमि पंथ आधारित है। वह लगातार भारत में आतंकवादियों को भेज कर हमले करवाता रहा है। यह हमले सामान्य जनों से लेकर सरकारी दफ्तरों, मंदिरों, ट्रेनों-बसों में भी होते आए हैं। अमरनाथ और वैष्णो देवी यात्रा में जा रहे श्रद्धालुओं पर भी आतंकवादी हमले होते रहे हैं। जिनमें अनेक श्रद्धालुओं की जाने गयी हैं। इन पवित्र यात्राओं के लिए अपने ही देश में सेना की तैनाती करनी पड़ती है। सेना से आतंकियों की भी मुठभेड़ होती है। कई बार हमारे सैनिक बलिदान होते हैं। मुठभेड़ में जो आतंकवादी मार दिए जाते हैं उनके लिए भी पंथिक आधार पर भारत में सहानुभूति देखी जाती है। अनेक अलगाववादी मोर्चे हैं, संगठन हैं, जो अलगवादियों को ताकत देते हैं। वही अलगाववादी तत्व भारत में शांति और समृद्धि के शत्रु हैं। इन आतंकवादी ताकतों को चिन्हित कर जब तक उन्हें कुचला नहीं जाएगा तब तक देश विरोधी ताकतें सक्रिय रहेंगी।

पूरी दुनिया के लिए पाकिस्तान बड़ा खतरा है, इससे निपटने में कोई कोताही नहीं छोड़नी चाहिए। अमेरिका, इजरायल, रूस सहित दुनिया के देशों ने इस बर्बर कार्रवाई की निंदा की है। आतंकवादी किसी एक व्यक्ति या अधिक की हत्या करते हैं तो यह मात्र घटना नहीं है। यह एक क्रूर विचार है कि गोली-बारूद के दम पर भारत को डरा कर अपना दारुल हरब एजेंडा लागू करना है। इस विचार वाले लोग अनपढ़ (उम्मी) नहीं होते हैं। वह कई बार इंजीनियर होते हैं, डिग्रीधारक होते हैं। डॉक्टर और प्रोफेसर भी होते हैं। विज्ञान के जानकार होते हैं। मगर उन्हें अपने कट्टरपंथी धर्म का पालन निर्दोष लोगों की हत्या कर जिहाद करना है।

इस्लामी आतंकी हमले आज भी जारी हैं। अलगाववादी विचारों वाले समूहों पर जब तक कार्रवाई नहीं होगी, निर्दोषों पर हमले होते रहेंगे। यह भी सही है कि केंद्र और राज्य सरकारों की जिम्मेदारी होती है कि प्रत्येक व्यक्ति और संपत्ति की सुरक्षा संरक्षा रहे जैसे सरकार से प्रश्न तो कर ही सकते हैं। मगर यह प्रश्नों का समय नहीं है। आतंकियों द्वारा की गई निर्दोषों की हत्या के विरोध में एकजुटता दिखनी चाहिए। अपनी राजनीतिक, पंथिक कार्रवाई के लिए इन्हें अनुमति नहीं होनी चाहिए। पृथक कानून नहीं चलेंगे। राष्ट्र संविधान से चलेगा, संविधान सर्वोपरि है। भारत की संप्रभुता के विरुद्ध बोलने-लिखने, किसी अन्य राष्ट्र का कोई झंडा लहराने, किसी भी प्रकार की भारत विरोधी नारेबाजी करने के स्पष्ट कारण पूछने और कड़ी कार्रवाई से सरकार को पीछे नहीं हटना चाहिए। आखिर कब तक दूसरे राष्ट्र और शत्रु राष्ट्र का झंडा दिखाकर भारतीय लोगों को अपनी ही जन्मभूमि, कर्मभूमि, सनातन भूमि में डराया जाता रहेगा। इस पर कठोरता होनी चाहिए। भारत के भीतर पाकिस्तान का पक्ष लेने वालों पर राष्ट्रद्रोह जैसी कार्रवाई के लिए निर्णय लेने की जरूरत है।

आतंकवाद से केवल भारत ही नहीं पीड़ित है। आतंकवाद विश्वव्यापी हो चुका है। दुनिया के देश पाकिस्तान को आतंक का केंद्र मानते हैं। आतंकवाद के गम्भीर परिणाम दुनिया के देशों ने भुगते हैं। भारत सहित विश्व के देशों को आतंकवाद के समूल नाश के प्रयास करने चाहिए। आतंकवाद से सम्पूर्ण समाज में हिंसा और असुरक्षा की भावना बढ़ती है। सामाजिक संबंध कमजोर होने लगते हैं। इसलिए इसके समूल नाश के उपाय तलाशे जाने चाहिए।

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