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हाईकोर्ट में बगैर अधिकार केसों का स्टेटस बदलने का मामला, जांच में साफ्टवेयर कम्पनी जिम्मेदार

प्रयागराज, 13 मई (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट में मुकदमों की स्थिति अनाधिकृत रूप से बदलने का मामला सामने आया है। कोर्ट के आदेश पर की गई जांच में यह बात सामने आई कि प्रथम दृष्टया इसके लिए सॉफ्टवेयर कम्पनी जिम्मेदार है। एक जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान यह पता चला कि मुकदमों का स्टेटस अवैध तरीके से बदला गया।

11 अप्रैल, 2025 को ज़मानत पर सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति समीर जैन ने लिस्टिंग में कुछ विसंगतियां पाईं। ज़मानत अर्जी पहले ‘पास ओवर’ मामलों की श्रेणी में सूचीबद्ध थी, मगर बाद में वह रहस्यमय तरीके से ‘लेफ्ट ओवर’ मामलों की श्रेणी में स्थानांतरित हो गई थी। ‘लेफ्ट ओवर’ मामलों को आम तौर पर प्राथमिकता दी जाती है, जिससे मामले की सुनवाई में तेजी आने की सम्भावना होती है।

कोर्ट ने इस बदलाव पर कड़ी आपत्ति जताई, क्योंकि यह प्रचलित प्रकिया से अलग था। कोर्ट ने रजिस्ट्रार लिस्टिंग से स्पष्टीकरण मांगा । रजिस्ट्रार ने मामले की जांच करने के लिए समय मांगा, और अदालत ने सुनवाई स्थगित कर दी।

11 अप्रैल, 2025 को रजिस्ट्रार ने अदालत को सूचित किया कि उन्होंने संबंधित अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा है। इस जांच के परिणामस्वरूप, श्योगेश दुबे, संयुक्त रजिस्ट्रार (जे) (एस एंड ए)/ नोडल अधिकारी (सीसीएमएस), ने एक रिपोर्ट प्रस्तुत की। 11 अप्रैल की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि मामले की स्थिति बिना किसी अधिकार के बदल दी गई थी।

इसके बाद कोर्ट ने रजिस्ट्रार जनरल को पांच दिनों के भीतर मामले की विस्तृत जांच करने का निर्देश दिया था। रजिस्ट्रार जनरल द्वारा प्रस्तुत जांच रिपोर्ट में पता चला कि सॉफ्टवेयर डेवलपर कंपनी प्रथम दृष्टया मामले की स्थिति को बदलने के लिए जिम्मेदार थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि कंपनी ने बिना किसी अधिकार के ‘पास ओवर’ मामलों की श्रेणी से ‘लेफ्ट ओवर’ मामलों की श्रेणी में बदलाव किया।

अदालत ने रजिस्ट्रार जनरल को एक सप्ताह के भीतर इस मामले में की गई कार्रवाई की रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।

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