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ट्रंप को नोबेल न मिलने के बाद भी शांति दूत बने रहेंगे?

नई दिल्ली, 13 अक्टूबर (हि.स.) – अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को इस बार नोबेल शांति पुरस्कार नहीं मिला। ट्रंप ने खुद को कई युद्धविराम और अंतरराष्ट्रीय समझौतों का शांति दूत बताया, लेकिन नॉर्वे की नोबेल समिति ने वेनेजुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरिना मचाडो को पुरस्कार देने का फैसला किया।

नोबेल समिति ने मारिया कोरिना मचाडो को उनके साहस और एकजुटता के लिए सम्मानित किया। उन्होंने गहरे विभाजित विपक्ष को संगठित किया और स्वतंत्र चुनावों तथा प्रतिनिधि सरकार के लिए संघर्ष किया। उनके प्रयासों ने लाखों लोगों को प्रेरित किया, जबकि उन्हें अपनी जान को जोखिम में डालकर अपने देश में रहना पड़ा।

ट्रंप ने लगातार दावा किया कि उन्होंने भारत-पाकिस्तान, रूस-यूक्रेन और इजरायल-हमास संघर्ष सहित आठ युद्धविराम कराए। लेकिन नोबेल समिति के नियमों के मुताबिक, पुरस्कार वास्तविक और सतत योगदान पर दिया जाता है। ट्रंप की दावे नोबेल नामांकन की समय-सीमा के बाद के हैं, इसलिए इस बार उनका नाम बाहर रहा।

इतिहास में कुछ विवादित नाम भी नोबेल शांति पुरस्कार के लिए प्रस्तावित हुए हैं। उदाहरण के तौर पर, एडॉल्फ हिटलर को एक व्यंग्यपूर्ण प्रस्ताव भेजा गया था, जिसे बाद में वापस ले लिया गया।

नोबेल पुरस्कार की स्थापना अल्फ्रेड नोबेल ने की थी और इसे शांति, साहित्य, विज्ञान और आर्थिक क्षेत्र में उपलब्धि के लिए दिया जाता है। शांति पुरस्कार का निर्णय नॉर्वे की संसद द्वारा नियुक्त समिति करती है। इसमें डिप्लोमा, सोने का मेडल और 11 मिलियन स्वीडिश क्रोना (लगभग 10.36 करोड़ रुपये) दिया जाता है।

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