पुरुलिया। कारखानों में चोरी की घटनाओं की जांच यदि होती है, तो वह पूरी तरह कानून के दायरे में होनी चाहिए। चोरी की आड़ में संविदा या अस्थायी कर्मियों को संदेह के घेरे में लाना, डराना या बदनाम करना किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं है। यह कड़ा संदेश आदिवासी कुरमी समाज की ओर से दिया गया है।
🏭 जांच के नाम पर दबाव का आरोप
हाल के दिनों में जिले के कई औद्योगिक प्रतिष्ठानों में चोरी की घटनाओं के बाद यह आरोप सामने आए हैं कि जांच के नाम पर संविदा कर्मियों पर मानसिक और सामाजिक दबाव बनाया जा रहा है। कर्मियों का कहना है कि पूछताछ के बहाने उन्हें अपमानित किया जा रहा है और कार्यस्थलों पर भय का माहौल पैदा किया जा रहा है, ताकि वे अपनी बात न उठा सकें।
इन परिस्थितियों में कुरमी समाज ने खुलकर अस्थायी कर्मियों के साथ खड़े रहने की घोषणा की है।
🗣️ श्रम कानूनों की अनदेखी नहीं चलेगी
आदिवासी कुरमी समाज के प्रमुख प्रतिनिधि अजीत महतो ने कहा कि
“श्रम कानूनों के तहत संविदा कर्मियों को भी उनके मौलिक अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता। चोरी की किसी भी घटना में उचित रास्ता पुलिस प्रशासन की मदद लेना है, न कि बेवजह कर्मियों पर दोष मढ़ना।”
उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी कर्मी को जांच पूरी होने से पहले ही अपराधी मान लेना खतरनाक सोच है और यह सीधे तौर पर मानवाधिकारों का उल्लंघन है।
⚖️ समाज और परिवार की गरिमा का सवाल
अजीत महतो ने कहा कि संविदा कर्मियों को शक की नजर से देखना केवल उनके व्यक्तिगत सम्मान पर नहीं, बल्कि उनके परिवार और पूरे समाज की गरिमा पर हमला है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि किसी ने डराकर कर्मियों की आवाज दबाने की कोशिश की, तो कुरमी समाज कानूनी रास्ता अपनाने से पीछे नहीं हटेगा और प्रशासन को ज्ञापन सौंपा जाएगा।
✊ श्रमिक संगठनों का समर्थन
इस मुद्दे पर श्रम संगठनों ने भी कुरमी समाज के रुख का समर्थन किया है। उनका कहना है कि अस्थायी कर्मी पहले से ही नौकरी की असुरक्षा में रहते हैं और स्थायी सुरक्षा न होने के कारण उन्हें आसानी से निशाना बनाया जाता है।
🌱 विकास का असली अर्थ
अजीत महतो ने जोर देते हुए कहा,
“विकास का मतलब सिर्फ उत्पादन बढ़ाना नहीं है। विकास का असली अर्थ है मानव गरिमा की रक्षा। जिन कर्मियों के परिश्रम से उद्योग चलता है, उनका अपमान करके कोई भी उद्योग लंबे समय तक टिक नहीं सकता।”
🏛️ प्रशासन से निष्पक्ष जांच की मांग
श्रमिक संगठनों और सामाजिक प्रतिनिधियों ने मांग की है कि किसी भी जांच प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाया जाए। कर्मी की सामाजिक पहचान या अस्थायी स्थिति को जांच का आधार नहीं बनाया जाना चाहिए।
🔴 कुरमी समाज का स्पष्ट संदेश
अंत में कुरमी समाज ने साफ किया कि संविदा कर्मी अकेले नहीं हैं। समाज उनकी आजीविका और सामाजिक गरिमा की रक्षा के लिए पूरी मजबूती से खड़ा है और इस मुद्दे पर किसी भी प्रकार का समझौता नहीं किया जाएगा।




