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24 घंटे में बूथों के आंकड़ों में बड़ा बदलाव, चुनाव आयोग की पारदर्शिता पर उठे सवाल

कोलकाता, 03 दिसंबर। पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है। चुनाव आयोग द्वारा ‘अनकलेक्टेबल फॉर्म’ वाले बूथों की संख्या में 24 घंटे के भीतर अचानक बड़े बदलाव ने राजनीतिक दलों में हलचल मचा दी है।

आयोग ने शुरुआत में दावा किया था कि 2208 बूथ ऐसे हैं जहां एक भी मृत, डुप्लीकेट या स्थानांतरित मतदाता नहीं मिला है। यह बता कर आयोग ने इन बूथों की मतदाता सूची को ‘संपूर्ण’ बताया था।
लेकिन यह दावा तुरंत ही विवादों में घिर गया। राजनीतिक दलों ने सवाल उठाया कि 2002 में हुए पिछले SIR के बाद 23 साल में किसी बूथ पर एक भी मतदाता की मृत्यु या स्थानांतरण नहीं हुआ, यह कैसे संभव है?

24 घंटे में आंकड़ा घटकर 480 — विवाद गहरा

भाजपा सहित विपक्षी दलों ने जब इस आंकड़े पर सवाल खड़े किए तो अगले ही दिन आयोग ने नया डेटा जारी किया—अब यह संख्या 2208 से घटकर केवल 480 बता दी गई।

इस बदलाव के बाद आयोग की पारदर्शिता पर कई राजनीतिक दलों ने गंभीर सवाल खड़े किए हैं।

तृणमूल की तीखी प्रतिक्रिया

तृणमूल कांग्रेस के राज्य महासचिव कुणाल घोष ने इस डेटा अंतर को “अविश्वसनीय” करार दिया।
उन्होंने कहा—

“यह मज़ाक नहीं तो और क्या है? कभी दो हजार, कभी चार सौ… चुनाव आयोग कर क्या रहा है?”

भाजपा ने भी कसा तंज

भाजपा नेताओं ने भी आयोग से स्पष्टीकरण मांगते हुए कहा कि मतदाता सूची जैसी संवेदनशील प्रक्रिया में इतनी बड़ी गड़बड़ी लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर सवाल खड़े करती है।

चुनाव आयोग पर दबाव बढ़ा

अब राजनीतिक दलों का कहना है कि आयोग को यह स्पष्ट करना होगा—

  • शुरुआती आंकड़े कैसे तैयार किए गए?
  • 24 घंटे में इतना बड़ा परिवर्तन क्यों हुआ?
  • क्या SIR प्रक्रिया की निगरानी ठीक से की जा रही है?

पश्चिम बंगाल में SIR पहले ही राजनीतिक बहस का मुद्दा बना हुआ है, और अब बूथ आंकड़ों में असामान्य बदलाव ने इस विवाद को और गहरा कर दिया है।

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