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रसूल के सम्‍मान की दुहाई देनेवाले ओवैसी और उनकी निर्लजता !

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी द्वारा नागपुर हिंसा के आरोपी फहीम खान के घर पर बुलडोजर चलाने महाराष्ट्र की शिंदे सरकार पर तीखा हमला बोला है। मुसलमानों के हिमायती ओवैसी का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करते हुए नागपुर नगर निगम (एनएमसी) ने आरोप मात्र के आधार पर बुलडोजर चला दिया, जो असंवैधानिक है। “अगर कार्रवाई करनी थी तो अदालत में सबूत पेश कर सजा दिलवाते, उनके घरवालों का क्या दोष?” इनका कहना है कि हमारे रसूलल्लाह के खिलाफ अनाप-शनाप बकने की जुर्रत करने वाले एक बाबा के घर पर बुलडोजर नहीं चलता, क्योंकि वो “संस्कारी” है, हालाँकि उसने जो कहा वो जुर्म था।

क्‍या वास्‍तव में बात इतनी सीधी है, जो यहां असदुद्दीन ओवैसी समझा रहे हैं! आपके रसूलल्लाह की शान, शान है, उसकी वंदगी में कोई गुस्‍ताखी नहीं होनी चाहिए? गुस्‍ताखी माफ नहीं होगी, लेकिन इस्‍लाम के नाम पर आपके लोग जो करें सब जायज है? फहीम खान का वे कोई दोष नहीं मानते? यानी पुलिस झूठ बोल रही है? कैमरे झूठ बोल रहे हैं? जिन लोगों ने पुलिस के सामने गवाही दी है, वे सभी झूठ बोल रहे हैं? यह सच किसी से छिपा नहीं रह गया है कि फहीम खान नागपुर में दंगे के लिए भीड़ इकट्ठा करने और भड़काऊ भाषण देकर पथराव-हिंसा करवाने का आरोपित है, इनके हिसाब से ये सच नहीं है। वह तो नेकनीयत वाला व्‍यक्‍ति है, उसे बेकार में पुलिस फंसा रही है? औवेसी के हिसाब से यहां कोई सच बोल रहा है तो वे स्‍वयं ही हैं!

फहीम खान जैसे लोग इस्‍लाम के नाम पर लोगों को इकट्ठा करें, उन्‍हें भड़काएं, जिहादी नारे लगाए और सुनियोजित तरीके से हमला करें और करवाएं फिर भी सरकार, पुलिस इसलिए कोई कार्रवाई न करें, क्‍यों कि वह अल्‍पसंख्‍यक उसमें भी खासकर मुसलमान है? नागपुर में सोमवार 17 मार्च 2025 को क्‍या हो रहा था? मुस्लिम भीड़ ने खोज-खोजकर हिंदू घरों और गाड़ियों को निशाना बनाया, इसके अधिक इस मुस्लिम भीड़ ने तुलसी के पौधे को तोड़ने के साथ चुन-चुन कर गाड़ियों में रखी भगवान की मूर्तियों, स्वास्तिक और मूर्तियाँ देखकर उन्हें जलाया, जबकि मुस्लिम घरों और गाड़ियों को छुआ तक नहीं। नकाबपोश हमलावर पेट्रोल बम, पत्थर और हथियारों से लैस थे। ये हिन्‍दू घरों और बच्‍चों तक पर पत्थर फेंक रहे थे । यानी असदुद्दीन ओवैसी को संविधान की जब याद नहीं आती? जब उनके तथाकथित भाईजान-चाचाजान ये सभी हिन्‍दुओं पर हिंसा कर रहे थे, उनके देवताओं को आग के हवाले कर रहे थे।

किसी को यह नहीं भूलना चाहिए कि जिनके साथ घटनाएं घटीं, उनके कई वीडियो आज सोशल मीडिया में मौजूद हैं, क्‍या इन नफरती भाईजान को इन सभी का दर्द दिखाई नहीं देता, इन वक्‍त के मारे, हम दर्दों के लिए औवेसी को संविधान की याद नहीं आती? आज हमारे सामने अनेकों चश्‍मदीद गवाह है, जो इस हिंसा का शिकार हुए हैं, क्‍या वे सब भी झूठे हैं? औरंगजेब विवाद में नागपुर में हुई हिंसा के दौरान मुस्लिम दंगाइयों ने हिंदू युवक वरुण की दुकान को आग के हवाले कर दिया था । पीड़ित दुकानदार ने कहा, ” भाईचारे से रह रहे थे तो दुकान तोड़ने की क्या जरूरत थी? इतने लोगों ने गाड़ी क्यों जला दी? यहाँ पर एक भी दुकान का कांच नहीं टूटा है। हम हिंदू हैं इसलिए हमें निशाना बनाते हुए हमारी दुकानों पर हमला हुआ। आज दुकान तोड़ी है, कल घर में घुस जाएंगे।” क्‍या यहां वरुण झूठ बोल रहा है?

नागपुर हिंसा में घायल डीसीपी निकेतन कदम ने बताया, “एक बड़ी भीड़ इकट्ठा हो गई थी, उनके पास हथियार, पेट्रोल और डंडे थे। इसके बाद पत्थरबाजी हुई और वाहनों में तोड़फोड़ की गई। मुस्लिम भीड़ से एक व्यक्ति आगे आया और मुझ पर हमला किया, जिससे मेरे हाथ में गहरी चोट लग गई। एक पीड़ित महिला ने बताया, “दंगाइयों के हाथ में तलवारें थीं। मुस्लिम भीड़ ने घरों के दरवाजों पर तलवार से हमला भी किया। उनके घर में एक महिला का हाल ही में ऑपरेशन हुआ था, फिर भी दंगाइयों ने उस घर पर ईंट-पत्थर फेंककर कांच तोड़ दिए। नीचे खड़ी 8 से 10 कारों में आग लगा दी गई।”

हसनपुर इलाके में दुकान चला रहे हिंदू दुकानदार ने हिंसा की आपबीती सुनाते हुए बताया, “मेरी किराना स्टोर की दुकान है। मैं दुकान बंद करके खाना खाने के लिए बैठा ही था कि तभी पथराव शुरू हो गया। भीड़ ने मेरी दुकान के सामने खड़ी गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया। जब मैंने आग बुझाने की कोशिश की, तो उन्होंने मुझ पर पत्थर फेंककर मुझे घायल कर दिया।” नागपुर के दंगे में सुनील पेशने नाम के हिंदू युवक के कार को मुस्लिम भीड़ ने आग के हवाले कर दिया। घटना की व्यथा बताते हुए सुनील ने कहा, “घटना करीब रात 8:30 बजे हुई। 500 से 1000 लोगों की भीड़ ने पत्थरबाजी की। उन्होंने हमारी कार को भी जला दिया… करीब 25-30 वाहनों में तोड़फोड़ की गई।”

मुस्लिम भीड़ ने फायरकर्मी कपिल बर्वे को घायल कर अधमरा कर दिया। फायर ब्रिगेड कर्मियों ने बताया, “मुस्लिम भीड़ ने उन पर पत्थरबाजी की और उन पर चाकू व तलवारों से हमला किया, ताकि हम आगजनी को कंट्रोल न कर पाएं।” नागपुर हिंसा में मुस्लिम भीड़ ने बंडु क्लिनिक चला रहे एक हिंदू डॉक्टर ए. आर. श्रीवास के घर में घुसकर दवा और क्लिनिक में तोड़कर सामान फेंक दी। घर में घुसकर भगवान के कमरे में पत्थरबाजी की और लाइट कनेक्शन काट दिए। वहीं, औरंगजेब को लेकर हुई हिंसा में पीड़ित एक हिंदू युवक ने कहा, “मुस्लिम भीड़ पहले जुटी और सीसीटीवी कैमरे तोड़ दिये और फिर मेरे घर के सामने रखी रामनवमी की झांकियों को आग लगा दिया। भीड़ ने मेरे बाईक पर पेट्रोल डालकर आग के हवाले कर दिया।” यहां इस तरह के अनेकों लोग हैं, जिनके सामने ये पूरी घटना घटी।

वास्‍तव में विश्‍व हिन्‍दू परिषद् के राष्‍ट्रीय प्रवक्‍ता विनोद बंसल सही कहते हैं कि आज मुसलमानों के तथाकथित हिमायती ओवैसी जैसों से पूछा जाना चाहिए कि जो वे पैगम्‍बर, रसूलल्लाह का हवाला दे रहे हैं और संविधान की बात कर रहे हैं, उनका यह संविधान तब कहां चला जाता है, जब ये मुसलमानों द्वारा की जा रही हिंसा पर चुप्‍पी साध कर बैठ जाते हैं? ये मुसलमान जब हिन्‍दू देवी-देवताओं के चित्र नष्‍ट कर रहे थे, उन्‍हें आग के हवाले कर रहे थे, तब तो फिर पूरे हिन्‍दू समाज को गुस्‍सा आ जाना चाहिए? दूसरा आपको किसी संत-महात्‍मा द्वारा इस्‍लाम को लेकर कही गई बात तो ध्‍यान हैं, लेकिन जो आपके लोग सिर्फ कह नहीं रहे, वह तो करके दिखाते हैं। उनके लिए आप चुप हो जाते हैं। वास्‍तव में ओवैसी जी ये दोहरा चरित्र यहां चलनेवाला नहीं है। देश की जनता आपके कृत्‍यों को देख रही है ओवैसी साहब, कुछ तो अपने रसूल से डरो, सच कहने का साहस दिखाओ।

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