📌 Pithori Amavasya 2025 का महत्व
- भाद्रपद माह की अमावस्या को Pithori Amavasya 2025 कहते हैं।
- इसे कुशग्रहणी अमावस्या या कुशोत्पाटनी अमावस्या भी कहा जाता है।
- इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पूजा करने की परंपरा है।
- महिलाएं अपने बच्चों की लंबी उम्र और सुख-संपन्नता के लिए व्रत रखती हैं।
- पिठोरी शब्द का अर्थ है—आटे से बने चित्र या मूर्तियां, जिन्हें इस दिन पूजित किया जाता है।
📅 Pithori Amavasya 2025 तिथि और समय
- अमावस्या तिथि प्रारंभ: 22 अगस्त 2025, शुक्रवार, दोपहर 11:57 बजे
- अमावस्या तिथि समाप्त: 23 अगस्त 2025, शनिवार, सुबह 11:37 बजे
- इस साल मध्यकाल के महत्व के कारण पिठोरी अमावस्या 22 अगस्त 2025 को मनाई जा रही है।
🙏 पितृ पूजन और श्राद्ध विधि
- प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- पवित्र स्थान पर बैठकर संकल्प लें और पितरों का स्मरण करें।
- तांबे या पीतल के पात्र में जल, तिल, चावल, पुष्प और कुशा डालकर अर्पित करें।
- जल को दक्षिण दिशा की ओर छोड़ते हुए पितरों के नाम का उच्चारण करें।
- पके हुए चावल, तिल और घी से पिंड बनाकर पितरों को अर्पित करें।
- ब्राह्मण या जरूरतमंद को भोजन कराएं और अपनी क्षमता अनुसार दान-दक्षिणा दें।
🌸 व्रत का महत्व
- पितरों का श्राद्ध करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है।
- पितृ प्रसन्न होकर परिवार पर आशीर्वाद बनाए रखते हैं।
- माताओं के व्रत से बच्चों की दीर्घायु और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।